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मुजफ्फरपुर केस में CBI- शेल्टर होम में नहीं हुई किसी लड़की की हत्या

इस मामले में शेल्टर होम का संचालक बृजेश ठाकुर प्रमुख आरोपी है.

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सुर्खियों में रहे बिहार के मुज्जफरपुर शेल्टर होम में किसी लड़की की हत्या नहीं हुई और वहां मिले कंकाल शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियों में से किसी के नहीं थे. सीबीआई की तरफ से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को ये सूचना दी. सीबीआई 17 शेल्टर होम की जांच पूरी हो जाने की सूचना भी ने सुप्रीम कोर्ट को दी चुकी है.

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सुप्रीम कोर्ट में दायर स्टेटस रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने कहा कि

सभी 17 आश्रय गृह मामलों में जांच पूरी हो गई है. 13 नियमित मामलों में अंतिम रिपोर्ट संबंधित अदालत को भेजी गई है. चार प्रारंभिक मामलों की जांच भी पूरी हो गई है किसी अपराध को साबित करने का सबूत नहीं मिला है और इसलिए कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है.

सीबीआई ने सभी मामलों से जुड़े सरकारी सेवकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बिहार के मुख्य सचिव को रिपोर्ट भेजी है. सीबीआई ने मामले से जुड़ी एनजीओ का रजिस्ट्रेशन रद्द करने और उन्हें ब्लैक लिस्ट में डालने के लिए भी कहा है. रिपोर्ट के मुताबिक

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बालिका गृह मुजफ्फरपुर के एक मामले में सुनवाई पूरी हो गई है और फैसला 14 जनवरी तक सुनाया जाएगा.

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक एनजीओ की ओर से संचालित आश्रय गृह में कई लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया गया था और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की रिपोर्ट के बाद मामला प्रकाश में आया था.

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क्या है मुजफ्फरपुर मामला?

मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) की ओर से अप्रैल 2018 में बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी गई थी. जिसमें पहली बार मुजफ्फरपुर के बालिका गृह (शेल्टर होम) में रह रही लड़कियों से कथित रेप की बात सामने आई थी. TISS की टीम ने 26 मई 2018 को उसकी रिपोर्ट बिहार सरकार और मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन को भेजी थी. मामले के तूल पकड़ने के बाद पुलिस हरकत में आई.

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बालिका गृह में 34 नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था. पुलिस के मुताबिक, मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में 40 से अधिक लड़कियां थीं और मेडिकल रिपोर्ट बताती हैं कि उनमें से 34 के साथ रेप हुआ था. सीबीआई के मुताबिक जिस शेल्टर होम में बच्चियों के साथ दुष्कर्म की खबर आई, उसे ब्रजेश ठाकुर चला रहे थे.

जब यह मामला मीडिया की सुर्खियों में आया, तो सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी को बिहार से इस केस को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया.

इस केस में ब्रजेश ठाकुर के अलावा शेल्टर होम के कर्मचारी और बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के अधिकारी भी आरोपी बनाए गए हैं.

शेल्टर होम से मिले थे कंकाल

सीबीआई की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कई चौंका देने वाले खुलासे हुए थे. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम से लापता 11 लड़कियों की हत्या कर दी गई थी. सीबीआई ने आरोपियों से पूछताछ के बाद उनकी बताई जगह से हड्डियों की पोटली भी बरामद की थी.

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नीतीश कुमार पर भी उठे सवाल

इस चर्चित केस में सबसे ज्यादा सवाल बिहार की नीतीश कुमार सरकार पर उठे हैं. सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले को लेकर नीतीश कुमार सरकार को फटकार लगा चुका है. कोर्ट ने इस केस की सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा था कि आप कैसे सरकार चला रहे हैं. साथ ही इस केस में पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा का नाम भी सामने आया था. जिसके बाद मंजू वर्मा ने इस्तीफा दे दिया था.

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