(चेतावनी: इस स्टोरी में यौन उत्पीड़न का विवरण है. *सर्वाइवर की पहचान छिपाने के लिए कुछ नाम बदल दिए गए हैं.)
“मेरी एक आदत है, जैसे सबकी कोई (यौन) आदत होती है. नीचे बाल होना चाहिए. क्लीन नहीं होना चाहिए..मुझे पसंद नहीं कि वहां के बाल साफ कर दिए जाएं. थोड़े बाल होने चाहिए.”
यह उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी (Delhi's Burari) के एक सरकारी अस्पताल में 40 वर्षीय संविदा सफाई कर्मचारी गौरी* और उसके सुपरवाइजर के बीच फोन पर हुई बताई जा रही बातचीत का एक हिस्सा है.
26 दिसंबर को अस्पताल के बाहर खड़ी परेशान दिख रही गौरी ने क्विंट हिंदी को बताया “अस्पताल में जो कुछ चल रहा था, हम उससे तंग आ चुके थे. पानी सिर से ऊपर पहुंच गया तो हमने फैसला किया कि हम इसे और बर्दाश्त नहीं करेंगे. मैंने उसे (सुपरवाइजर को) फोन किया और बातचीत को अपने पति के फोन पर रिकॉर्ड कर लिया.”
करीब एक हफ्ते पहले 19 दिसंबर को ऐसी कई टेलीफोन रिकॉर्डिंग के आधार पर गौरी ने दो और महिला सहकर्मियों के साथ अपने सुपरवाइजर नीरज शर्मा, दीपक आदर्श और मैनेजर राजकुमार के खिलाफ बुराड़ी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है.
"अस्पताल में हमारा मैनेजर राजकुमार हमसे बार-बार कहता था कि हम अगर उसे खुश रखेंगे, तभी वह हमें काम करने देगा. उसने मुझसे कई बार दूसरी महिलाओं को उसके पास लाने के लिए भी कहा. मेरे शरीर को लेकर उसकी टिप्पणियों से मैं परेशान हो जाती थी."
महिलाओं ने शिकायत में यह आरोप लगाया है. उन्होंने फोन पर और अस्पताल में उनके साथ हुई कथित यौन उत्पीड़न की घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया है.
इसके बाद चारों आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 323 (इरादतन चोट पहुंचाना), 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना), 506 (आपराधिक धमकी), और 34 (समान इरादे से कई लोगों द्वारा किया गया आपराधिक कृत्य) के तहत FIR दर्ज की गई. मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
क्विंट हिंदी ने अस्पताल की कई सफाई कर्मचारियों से बात की जिन्होंने कथित यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़, वेतन में गैरबराबरी और न्यूनतम मजदूरी नहीं दिए जाने की घटनाओं के बारे में बताया.
यह दास्तान बताती है कि किस तरह राष्ट्रीय राजधानी के बाहरी इलाके में एक छोटा सा सरकारी अस्पताल अपनी महिला कर्मचारियों के यौन शोषण का केंद्र बन गया था.
‘उन्होंने मुझे नौकरी से निकाल दिया क्योंकि मैंने न कहा था’
768 बेड के मल्टी-स्पेशियलिटी सुविधा वाले बुराड़ी अस्पताल का उद्घाटन 25 जुलाई 2020 को ‘डेडिकेटेड कोविड अस्पताल’ के रूप में किया गया था, और 34 वर्षीय रेखा* इसकी कुछ शुरुआती हाउसकीपिंग कर्मचारियों में से एक थीं.
अपने परिवार की कमाने वाली इकलौती सदस्य रेखा की अस्पताल की नौकरी से 7,000 से 12,000 रुपये तक मासिक आय होती थी, जब तक कि जुलाई 2023 में उनकी नौकरी खत्म नहीं हो गई.
“हम एक बाहरी कंपनी की तरफ से काम पर रखे गए संविदा कर्मचारी हैं, जिसे अस्पताल ने कर्मचारियों की सप्लाई के लिए नियुक्त किया गया है. जुलाई में जब कंपनी बदली, तो उन्होंने कई कामगारों को काम से हटने के लिए कहा. ध्यान देने वाली बात है ये केवल वही कर्मचारी थे जिन्होंने लगातार नाइंसाफी के खिलाफ आवाज उठाई थी. अस्पताल ने उन्हें काम से निकाल दिया.रेखा
जुलाई 2023 में ग्लोबल वेंचर्स नाम की फर्म को अस्पताल में मैनपावर सप्लाई का ठेका दिया गया.
रेखा ने ऐसे कई मौकों के बारे में बताया जब आरोपियों ने उससे सेक्सुअल फेवर की मांग की थी.
इस अस्पताल में यही तरीका है. ये लोग जो करते हैं, उसे कोई शर्मिंदगी नहीं हैं. सुपरवाइजरों ने मुझसे कई बार उनके साथ सोने के लिए कहा... और जब मैंने ‘नहीं’ कहा, तो उन्होंने मुझे नौकरी से निकाल दिया.रेखा
कई दूसरी कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि सुपरवाइजरों ने उनकी पैसे की कमजोरी का फायदा उठाकर उनका यौन शोषण किया.
“न्यूनतम वेतन की बातें केवल कागजों में दर्ज है. हमें जो भी वेतन मिलता है, उसमें से एक हिस्सा हमें सुपरवाइजरों को नकद लौटाना होता है. वे हमें बताते हैं कि पैसा उस कंपनी के लिए है जिसने हमें काम पर रखा है. हममें से ज्यादातर की हालत ऐसी है कि हम यहां जो भी थोड़ा बहुत पैसा कमाते हैं उसी से हमारा घर चलता है. ‘न’ नहीं कह पाने की मजबूरी और नौकरी खोने के डर का वे फायदा उठाते हैं,’' यह कहना था एक और सफाई कर्मचारी का, जिसे रेखा की तरह ही अपनी नौकरी गंवानी पड़ी थी.
क्विंट हिंदी ने इन आरोपों को लेकर ग्लोबल वेंचर्स (Global Ventures) से संपर्क किया है. अगर उनका जवाब आता है तो कॉपी को अपडेट कर दिया जाएगा.
‘अस्पताल प्रबंधन से की कई शिकायतें अनसुनी कर दी गईं’
26 दिसंबर को क्विंट हिंदी ने जब अस्पताल का दौरा किया तो वहां “कर्मचारियों को वर्क प्लेस पर यौन उत्पीड़न कानूनों के बारे में जागरूक करने” के लिए एक कार्यशाला चल रही थी, जिसमें करीब 25-30 महिला सफाई कर्मचारी मौजूद थीं.
"अब जब मामला मीडिया में पहुंच गया है, तो वे (अस्पताल प्रशासन) इसे दबाने की कोशिश कर रहे हैं. आज उन्होंने हमें बताया कि एक समिति है जहां हम जा सकते हैं और ऐसी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. हमें इस बारे में पहले कभी क्यों नहीं बताया गया?” गौरी यह सवाल पूछती हैं, जो कार्यशाला में भी शामिल हुई थीं.
गौरी और दूसरी महिला कर्मचारी दावा करती हैं कि उन्होंने सुपरवाइजरों के बर्ताव के बारे में अस्पताल प्रशासन से कई बार जुबानी शिकायत की, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया.
क्विंट हिंदी के पास अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर को संबोधित एक लिखित शिकायत और एक महिला सुपरवाइजर की तरफ से 6 जून को नीरज और आदर्श के खिलाफ दर्ज कराई गई FIR की कॉपी है. ये मौजूदा मामले में आरोपी चार लोगों में से दो हैं
अपनी शिकायत में, प्रीति* ने आरोप लगाया कि “उनके और कुछ कर्मचारियों के बीच झगड़ा होने के बाद नीरज और आदर्श, जो उस समय उनके सह-सुपरवाइजर थे, उन्हें एक कमरे में ले गए और उनके साथ छेड़खानी की.”
उस समय पेरेंट कंपनी ने प्रीति का दूसरे अस्पताल में तबादला कर दिया था, अस्पताल में मैनपावर सप्लाई का ठेका ग्लोबल वेंचर को दिए जाने के बाद नीरज और आदर्श को भी नौकरी गंवानी पड़ी. मगर नवंबर 2023 में दोनों को फिर से सुपरवाइजर के तौर पर नियुक्त कर दिया गया.
क्विंट हिंदी ने अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर (MD) आशीष गोयल से बात की. उनका कहना था, “मामले की जांच पुलिस को करनी है. हमारे अस्पताल में एक ICC (आंतरिक शिकायत समिति) है, लेकिन हमें इस मामले के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली. जब हमें मीडिया और सोशल मीडिया से पता चला तो हमने फौरन संज्ञान लिया. हम पुलिस के साथ सहयोग करेंगे और नियमित रूप से अस्पताल में महिला सुरक्षा के बारे में कार्यशालाएं आयोजित करेंगे.”
उन्होंने हालांकि इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं की कि यौन उत्पीड़न की पिछली शिकायत के बावजूद दोनों आरोपियों को फिर से काम पर क्यों रखा गया. मगर अस्पताल प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त के साथ कहा कि कर्मचारियों और सुपरवाइजरों की पृष्ठभूमि की जांच करने की जिम्मेदारी उस कंपनी की है, जिसे मैनपावर सप्लाई का काम सौंपा गया है.
रेखा कहती हैं, “वे एक-दूसरे पर दोष मढ़ते रहेंगे, जबकि हम झेलते रहेंगे. जब से उन्होंने मेरा कॉन्ट्रेक्ट खत्म किया गया है तब से मैं हर रोज यहां आती हूं. मैं उनसे मुझे मेरी नौकरी देने के लिए गिड़गिड़ाती हूं... यह सब सिर्फ इसलिए हो रहा है क्योंकि मैंने मना कर दिया.” वह थोड़ी देर ठहरकर बोलना जारी रखती हैं.
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
मामले का संज्ञान लेते हुए दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने 23 दिसंबर को दिल्ली पुलिस को एक नोटिस जारी किया और संबंधित अधिकारियों को मामले की गहराई से जांच करने और आरोपियों को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया. DCW ने मामले में विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट भी मांगी है.
इस बीच रविवार, 24 दिसंबर को स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को जारी एक नोट में, छह घंटे के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट (ATR) मांगी. दूसरी ओर, नरेश कुमार ने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी (AAP) ने अफसर को ईमेल पर रिपोर्ट मिलने से पहले ही इसे सोशल मीडिया पर साझा कर दिया था.
नतीजन सौरभ भारद्वाज ने मुख्य सचिव पर ICC रिपोर्ट का विवरण मीडिया से साझा करने का आरोप लगाया. "मुझे मीडिया से ATR हासिल हुई जिसे चीफ सेक्रेटरी कार्यालय ने उनको सौंपा था. अफसोस की बात है कि उन्होंने ICC (आंतरिक शिकायत समिति) की रिपोर्ट भी मीडिया के साथ साझा की. इससे पुलिस जांच पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और उस आरोपी को मदद मिलेगी जिसने कथित तौर पर गरीब संविदा महिला कर्मचारियों से यौन संबंध बनाने की मांग की थी."
सफाई कर्मचारियों की यूनियन का संगठन सफाई कामगार यूनियन (SKU), जो इन महिलाओं को मामले में विरोध प्रदर्शन करने में मदद कर रहा है, ने एक प्रेस विज्ञप्ति में अस्पताल के अधिकारियों को निलंबित करने की मांग की, जो समय पर कार्रवाई करने में नाकाम रहे.
SKU की अगुवाई में सफाई कर्मचारी मेडिकल डायरेक्टर, मेडिकल सुपरिटेंडेंट और डायरेक्टर ऑफ नर्सिंग स्टाफ को फौरन निलंबित करने; महिला सफाई कर्मचारियों के यौन उत्पीड़न में मदद करने वाले तीन सफाई कर्मचारियों के नाम FIR में शामिल करने, सभी आरोपियों की फौरन गिरफ्तारी और ठेका लेने वाली कंपनी ग्लोबल वेंचर्स के साथ अनुबंध फौरन खत्म करने; आंतरिक शिकायत समिति का पुनर्गठन करने जिसमें सफाई कर्मचारियों और उनके संघ के प्रतिनिधि शामिल हों; और सफाई कर्मचारियों के एरियर भुगतान के प्रावधान के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना कि बुराड़ी अस्पताल में सभी वैधानिक श्रम कानून लागू हों, की मांग कर रहे हैं.
‘हमारे साथ जानवरों जैसा बर्ताव किया जाता है’
27 दिसंबर को अस्पताल के बाहर जब गौरी, रेखा और दूसरी महिला कर्मचारी विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रही थीं, तो उन्हें कतई उम्मीद नहीं थी कि चीजें बदल जाएंगी.
रेखा याद करती हैं. “जब हम उनके पास जाते हैं और अपना पूरा वेतन मांगते हैं, तो वे हमारी बेइज्जती करते हैं और कहते हैं, ‘तुमने आइने में शक्ल देखी है अपनी? 17,000 वाली शक्ल है तुम्हारी?"
वह पूछती हैं, “मुझे बताओ, किसके चेहरे पर उनकी तनख्वाह लिखी होती है?”
गौरी आगे कहती हैं, “वे हमें इंसान नहीं समझते.”
वह आगे कहती हैं, “उन्हें लगता है कि हम जानवर हैं. अस्पताल में, उनके पास कमरा था जहां वे महिलाओं को आने और उन्हें यौन संबंध बनाने के लिए कहते थे. हम डरते थे इसलिए कोई भी अकेले नहीं जाता था. यह डरावना था क्योंकि हममें से कुछ लोग बाहर बैठे थे और हमने उन्हें हमारी सहकर्मियों से जबरदस्ती की कोशिश करते सुना.”
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