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धनबाद जज हत्या: SC ने राज्यों को दिया आखिरी मौका, 10 दिनों में दाखिल करें जवाब

Dhanbad Judge Murder Case: च्च न्यायालय ने 10 दिनों के भीतर सभी राज्यों को हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था.

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उन राज्यों को एक आखिरी मौका दिया जिन्होंने अपना जवाब अभी तक दाखिल नहीं किया है. गौरतलब है कि न्यायाधीशों और न्यायालय परिसर के बचाव और सुरक्षा के संबंध में उच्च न्यायालय ने 10 दिनों के भीतर सभी राज्यों को हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था.

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना (N. V. Ramana) की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ, धनबाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की कथित मौत से जुड़े स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी. जिस पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी शामिल थे.

"हम उन राज्यों को एक आखिरी मौका दे रहे हैं, जिन्होंने अभी तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया है."
CJI ने कहा,

सुप्रीम कोर्ट को आज अवगत कराया गया था कि असम ने सुरक्षा व्यवस्था का ब्योरा दे दिया है. झारखंड और गुजरात ने भी सोमवार को अपना जवाब दाखिल कर दिया था.

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सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र ने न्यायाधीशों और अदालत परिसरों की सुरक्षा के लिए राज्यों से बार-बार एक विशेष फोर्स बनाने के लिए कहा है.

इस पर उच्च न्यायालय ने कहा है कि केंद्र यह सुनिश्चित कर सकता है कि उसके दिशा-निर्देशों को लागू किया जाए. मेहता ने कहा कि केंद्रीय गृह सचिव इस मुद्दे पर पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) या राज्य के गृह सचिवों की बैठक बुलाएंगे.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने अभी तक हमें रिपोर्ट नहीं सौंपी है.

"वह स्थिति से निपटने के लिए सबसे अच्छे व्यक्ति हैं. आपको इस मुद्दे को सुलझाना होगा."
शीर्ष अदालत ने मेहता से कहा,
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क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट, धनबाद के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की कथित मौत से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था, जिन्हें 28 जुलाई को मॉर्निंग वॉक के दौरान एक ऑटो रिक्शा ने कथित तौर पर कुचल दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने यह देखते हुए कि ये न्यायिक अधिकारियों के बचाव और सुरक्षा से जुड़े मुख्य मुद्दे से संबंधित हैं, 30 जुलाई को झारखंड जज की कथित हत्या का स्वत: संज्ञान लिया.

जिसके बाद BCI (बार काउंसिल ऑफ इंडिया) की ओर से वरिष्ठ वकील मन्नान कुमार मिश्रा ने उक्त मामले में जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा था. जिस पर शीर्ष अदालत ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार कर लिया.

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वकील विशाल तिवारी ने एक जनहित याचिका (PIL) भी दायर की थी, जिसमें केंद्र और सभी राज्य सरकारों को जज हत्या मामले भी संबंधित सभी न्यायिक अधिकारियों को 'एक्स' श्रेणी की सुरक्षा देने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी एक सुनवाई में इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि निचली अदालतों और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के बचाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अब तक बहुत कम काम किया गया है और कथित तौर पर उन पर हमले भी हो रहे हैं, जबकि उन्होंने आरोपियों के पक्ष में कोई आदेश भी नहीं दिया है.

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