(ट्रिगर चेतावनी: इस स्टोरी में हिंसा का जिक्र है.)
तारीख 23 मई. सुबह लगभग 5:30 बजे मिसरी खान बलूच अपने घर से ड्राइवर हुसैन खान के साथ महिंद्रा बोलेरो में कुछ भैंसों के साथ गुजरात के बनासकांठा जिले के चप्पी गांव के लिए निकले थे. हालांकि, कथित 'गौरक्षकों' ने उनकी गाड़ी के टायरों को पंचर कर दिया और कथित तौर पर मिसरी खान को सड़क पर पीट-पीटकर मार डाला.
मिसरी के बड़े भाई शेर खान ने द क्विंट से कहा,
"उन्होंने उसकी पहचान के कारण उसे मार डाला. उन्होंने उसके सिर पर लाठियों और लोहे की रॉड से इतना मारा कि हमें उसकी खोपड़ी के कुछ हिस्से दिखाई देने लगे, अंदर का हिस्सा दिखाई देने लगा. उसके सिर से खून बह रहा था और कंधे, पीठ और कमर पर चोट के निशान थे."
मिसरी खान 40 वर्षीय मजदूर और पार्ट-टाइम किसान थे. उनका ताल्लुक सेसन नवा गांव से था. वे भैंसों और उनकी देखभाल के लिए अपनी बहन फातिमाबेन को पहुंचाने जा रहा था. फिर ये भैंसे कारखानों में भेजे जाते.
हालांकि, कथित तौर पर 7-8 संदिग्ध गौरक्षकों ने पहले जमीन पर लोहे की कीलें फेंककर उनकी गाड़ी को पंक्चर कर दिया और मिसरी से पैसे वसूलने का प्रयास किया. तभी 50-60 आदमी इकट्ठे हो गये और उनसे भिड़ गये.
पहले पकड़ा गया ड्राइवर हुसैन भागने में सफल रहा. वह परिवार को सूचित करने चला गया और इसलिए भीड़ से बच गया.
शेर खान ने सवाल किया, "ये लोग मवेशियों को ले जाने वाले सभी गरीब मजदूरों को मिलाकर हर महीने 2 लाख रुपये देने के लिए मजबूर करते हैं. हम मुश्किल से अपने परिवारों चलाने के लिए कमा पाते हैं, ऐसे में हम उन्हें पैसे कैसे दे सकते हैं?"
शेर खान ने कहा, "जब हम पहुंचे तब तक पुलिस वहां मौजूद थी, जबकि अगथला पुलिस स्टेशन सिर्फ 100 मीटर दूर है."
क्विंट के पास FIR की कॉपी भी है जिसमें कहा गया है कि मुख्य आरोपी - अखेराज सिंह, वातम, निकुल, मोजरू, प्रवीण सिंह - मृतक के गांव के पास ही रहते हैं.
FIR के आरोपों में आईपीसी की धारा 302 (हत्या के लिए सजा) 341 (गलत तरीके से रोकने/ बंधक बनाने के लिए सजा), 147 (दंगा करने के लिए सजा) 148, (घातक हथियार से लैस होना) 143 (गैरकानूनी सभा), 506 (2) (आपराधिक धमकी), 120 (अपराध करने के इरादे को छिपाना) और गुजरात पुलिस अधिनियम की धारा 135 शामिल हैं.
'आरोपी मेरे सामने ही बड़े हुए हैं'
FIR में लिखा है कि अखेराज ने उन्हें धमकी दी और कहा, "हम तुम्हें मार डालेंगे लेकिन तुम्हें जाने नहीं देंगे'. आगे बताया गया है कि मिसरी खान की बॉडी से ऐसा लग रहा था जैसे "उसके सिर और उसके शरीर के अन्य हिस्सों पर लोहे की रॉड, लाठियों से गंभीर चोट की गई और उस वजह से उसकी मौत हो गई."
हालांकि, द क्विंट से बात करते हुए अगथला पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर पीएच जड़ेजा ने इसे 'मॉब-लिंचिंग' कहने से इनकार कर दिया है.
"हमने अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें मुख्य आरोपी अखेराज भी शामिल है. लेकिन मैं स्पष्ट कर दूं कि यह मॉब लिंचिंग नहीं है क्योंकि शिकायतकर्ता ने उल्लेख किया है कि अखेराज ने ही उसके सिर पर वार किया था. यह मॉब लिंचिंग की परिभाषा में नहीं आता."पीएच जड़ेजा, सब-इंस्पेक्टर
पुलिस अधिकारी ने कहा, दोनों समूहों के बीच पुरानी दुश्मनी भी थी. उधर, शेर खान ने द क्विंट को बताया कि आरोपी युवक गांव में उनके घर के पास ही रहते हैं.
"ये लोग मेरे सामने बड़े हुए हैं. अखेराज का खेत हमारे खेत के ठीक बगल में है. हम उनको और उनके परिवार को तब से जानते हैं जब वे बच्चे थे. पिछले एक साल में, वे गोरक्षा में शामिल हो गए और कट्टरपंथी हो गए. आज उस नफरत और कमाने के लालच ने हमारे अपने को मार डाला."शेर खान
शेर खान ने यह भी आरोप लगाया कि पहले भी अखेराज ने एक गांव में किसी के साथ मारपीट की थी और उसे 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए मजबूर किया था. उसपर PASA (गुजरात असामाजिक गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत भी मामला दर्ज किया गया था.
शेर खान का यह भी मानना है कि पुलिस "इसे रोकने के लिए कुछ नहीं करती" और आरोपियों को "पुलिस के साथ घूमते हुए" देखा गया है.
बच्चे कह रहें 'पापा काम पर गए हैं'
उनके भाई, हमारी फोन पर हुई बातचीत के दौरान रुके और फिर बोले, "अगर आप अभी मिसरी को देखेंगे, तो आपका दिल दुख जाएगा. जिस तरह से उसका शरीर खून से लथपथ था, अगर आप उसे देखते, तो आप विश्वास नहीं करते."
परिवार ने मिसरी को हत्या वाले दिन की शाम ही 5 बजे दफनाया. अब उनके पीछे परिवार में उनकी पत्नी जीवीबाई, दो बेटे और दो बेटियां हैं. पत्नी जीवीबाई सदमे में हैं और मिसरी के बारे में बात करते-करते उसका गला रुंध गया.
"मैंने बच्चों से कहा, "वह कमाने गए हैं, वापस आ जाएंगे. वे कह रहे हैं कि पापा गए मजदूरी करने. लेकिन उन्होंने यह भी देखा है कि मेरा रोना बन्द नहीं हुआ है."जीवीबाई, मिसरी की पत्नी
जीवीबाई खुद भी एक मजदूर हैं. उन्होंने कहा कि वह मिसरी को फोन कर रही थी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और बाद में पता चला कि उनकी मृत्यु हो गई है.
"मुझे ऐसा लग रहा है जैसे वह कुछ घंटे पहले ही यहीं थे." जीवीबाई ने रोते हुए आगे कहा, "हम दोनों ने अपने माता-पिता को खो दिया था इसलिए वह मेरा सहारा थे और मैं उनकी. वह ऐसे व्यक्ति थे जो हमेशा खुश रहते थे और हमें हंसाते भी थे. वह मेरे जीवन की रोशनी थे."
"मुझे ऐसा लग रहा है जैसे वह कुछ घंटे पहले ही यहीं था."
जीवीबाई ने रोते हुए कहा, "हम दोनों ने अपने माता-पिता को खो दिया था इसलिए वह मेरा सहारा थे और मैं उनकी। वह ऐसे व्यक्ति थे जो हमेशा खुश रहते थे और हमें हंसाते भी थे। वह मेरे जीवन की रोशनी थे."
इस बीच, शेर खान ने अपने भाई को याद करते हुए कहा, "हमारे गांव के सभी हिंदू और मुस्लिम, उन्हें और उनके ट्रक को जानते थे. कई बार उन्होंने हमारे गांव वालों को भी सवारी दी. उन्होंने उनकी यथासंभव मदद की, भले ही वे किसी भी धर्म के हों."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)