अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष की रविवार सुबह लखनऊ के छतर मंजिल के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई. मृतक की पहचान रंजीत श्रीवास्तव के तौर पर हुई है. हालांकि, पुलिस का कहना है कि वह श्रीवास्तव नहीं, बल्कि यादव हैं. बता दें कि बीते 18 अक्टूबर में हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की उनके कार्यालय में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
घटना के दौरान वहां मौजूद रहे श्रीवास्तव के भाई को भी गोलियां लगी हैं और उन्हें किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है. रणजीत श्रीवास्तव मूलरूप से गोरखपुर के निवासी हैं और वह ओसीआर बिल्डिंग में रहते थे.
समाजवादी पार्टी में थे रंजीत
गोरखपुर में पले बढ़े रणजीत हिंदू महासभा से जुड़ने से पहले समाजवादी पार्टी में थे. लेकिन हिंदुत्व के लिए काम करने के मकसद से वो स्वामी चक्रपाणि की मदद से हिंदू महासभा में आए. द क्विंट से बातचीत में स्वामी चक्रपाणि ने कहा,
वो मेरे पास आए और कहा कि मैं हिंदुत्व के लिए काम करना चाहता हूं. उनके अंदर काम करने की ललक साफ दिखती थी ऐसे में हमने उन्हें प्रदेश की जिम्मेदारी दी. कमलेश तिवारी की हत्या के बाद उनकी जिम्मेदारियां और बढ़ा दी गई थीं.
कमलेश तिवारी जो हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष थे. उनकी 18 अक्टूबर को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, बदमाशों ने उनसे फर्जी फेसबुक आईडी के जरिए संपर्क किया था. इस वारदात के बाद कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
द क्विंट ने हिंदू महासभा में कई सूत्रों से बातचीत की, जिसमें पता चला कि रंजीत की दो पत्नियां थीं. यूपी के ज्वाइंट कमिश्नर ने वारदात के बाद बताया है कि ऐसा पता चला है कि रंजीत और उनकी पत्नी के बीच कुछ विवाद चल रहा था.
लखनऊ में हिंदू महासभा के कुछ सक्रिय लोगों में से एक रंजीत का संबंध विश्व हिंदू परिषद से भी बताया जाता है. करीब एक साल पहले वो यूपी पॉलिटिक्स पर बातचीत के मद्देनजर हिंदू महासभा के मेंबर्स से मिलने के लिए दिल्ली भी आए थे.
हिंदू महासभा के दिल्ली प्रभारी चक्रपाणि का कहना है कि, रंजीत ने यूपी सरकार की कई योजनाओं पर बातचीत की.
''हमने सीएए और एनआरसी पर भी बातचीत की. हिंदू महासभा सामाजिक मुद्दों पर मुखर रहता है और रंजीत भी रहा करते थे. रंजीत का कई इंटरनेशनल हिंदू संस्थाओं से भी संबंध था. वो ज्यादातर अपने घर से ही काम किया करते थे.''
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