सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को धनबाद के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश उत्तर आनंद की कथित हत्या की चल रही जांच पर निर्देश दिया है कि, वो झारखंड हाईकोर्ट के समक्ष हर हफ्ते अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे और हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इस मामले की निगरानी करेंगे.
इस बीच, सुनवाई से पहले सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जज उत्तम आनंद की मौत के मामले की घटनाओं का क्रम बताते हुए एक सीलबंद लिफाफे में अपनी स्थिति रिपोर्ट दायर की.
हालांकि सर्वोच्च न्यायालय, सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट के अध्ययन के बाद असंतुष्ट था. इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि, "बंद लिफाफे में कुछ भी नहीं है, हम कुछ ठोस चाहते हैं. वाहनों की गिरफ्तारी और जब्ती राज्य का काम है. आपने (सीबीआई) इसमें हत्या के इरादे और उद्देश्य के लिए कोई संकेत नहीं दिए हैं."
'लगातार हो रहे हैं जजों पर हमले'
सुप्रीम कोर्ट ने आज की सुनवाई में यह भी कहा कि निचली अदालतों और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अब तक बहुत कम काम किया जा रहा है, क्योंकि उन पर कथित रूप से हमला किया जा रहा है जबकि आरोपी व्यक्तियों के पक्ष में उन्होंने कोई आदेश भी नहीं दिए हैं.
सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों से कहा कि वो 17 अगस्त तक निचली अदालतों और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के सुरक्षा के मुद्दे पर अपनी विस्तृत प्रतिक्रिया दें और अदालत और न्यायाधीशों की सुरक्षा के लिए एक विशेष फोर्स का गठन करें.
सीबीआई की ओर से पेश होते हुए सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि कथित घटना में शामिल ऑटो-रिक्शा में सवार दो ड्राइवरों से पूछताछ की जा रही है और फिलहाल इससे ज्यादा कुछ खुलासा नहीं किया जा सकता है.
पुलिस के मुताबिक, सीसीटीवी फुटेज से पता चला है कि झारखंड के धनबाद इलाके में 28 जुलाई को मॉर्निंग वॉक करते समय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद को एक ऑटोरिक्शा ने टक्कर मार दी थी.
गौरतलब है कि देश के न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे को संबोधित करने के लिए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता में जस्टिस सूर्यकांत के साथ सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 30 जुलाई को इस घटना का स्वत: संज्ञान लिया था.
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