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लखीमपुर खीरी कांड हादसा नहीं, सोची समझी साजिश थी - SIT

3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हुई इस हिंसा में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी.

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उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूर को हुई घटना के मामले में बड़ा बदलाव सामने आया है. केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र मोनू की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. विशेष जांच टीम (SIT) ने नई धारा बढ़ाते हुए मामले को दुर्घटना नहीं, हत्या की सोची-समझी साजिश बताया है.

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इस मामले में मुख्य विवेचन विद्या राम दिवाकर ने सीजीएम कोर्ट में अर्जी लगाई है. मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा समेत 13 आरोपियों को 14 दिसंबर को कोर्ट में पेश किया गया.

जेल में बंद आरोपियों पर से धारा 279, 337, 338, 304ए की धाराएं हटाई जा रही हैं और जानलेवा हमला करने और अंग-भंग करने की धाराएं बढ़ाई जा रही है. इनमें 120बी, 307, 326 आईपीसी की धाराएं बढ़ाई जाएंगी.

नवंबर महीने में लखीमपुर के तिकुनिया इलाके में हिंसा मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जांच की निगरानी की जिम्मेदारी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज राकेश कुमार जैन को दी थी. साथ ही कोर्ट ने मामले की जांच कर रही SIT टीम में तीन वरिष्ठ IPS आधिकारियों की भी नियुक्ति की थी. इसमें पद्मजा चौहान, दीपेन्द्रसिंह , एसबी सिरोडकर का नाम शामिल थे.
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सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था कि मामले में रोजाना की जाने वाली जांच कि कार्रवाई की निगरानी पंजाब और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस राकेश कुमार जैन करेंगे. कोर्ट ने पहले ही बता दिया था कि मामले की जांच की निगरानी के लिए रिटायर्ड जज की नियुक्ति की जा सकती थी. उत्तर प्रदेश सरकार ने भी पूर्व जज की निगरानी में लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में प्रतिदिन के आधार पर राज्य की SIT द्वारा जांच कराने के सुझाव पर सहमति जताई थी.

3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हुई इस हिंसा में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी.

3 अक्टूबर को लखीमपुर के तिकुनिया इलाके में हुई इस हिंसा में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में मुख्य आरोपी केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र हैं.

(इनपुट- धर्मेंद्र राजपूत)

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