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Manipur: एक दर्दनाक हत्या की कहानी, युवक का सिर काटने से पहले दोनों हाथ काटे

क्विंट ने डेविड के चाचा और विकलांग पिता से बात की. उन्होंने बताया कि कैसे अमानवीयता की सारें हदें पार करते हुए डेविड की हत्या की गई.

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मणिपुर (Manipur) के चुराचांदपुर जिले में एक आदिवासी व्यक्ति की उसके गृह गांव लांग्जा में कथित तौर पर सिर काट कर हत्या कर दी गई. मृतक डेविड थिएक के चाचा बुओनखावलीन ने कहा,

"उन्होंने उसकी दाहिनी आंख निकाली और फिर दाहिना हाथ काट दिया और पूछा, 'क्या तुम्हें दूसरा हाथ चाहिए?' फिर उन्होंने उसका बायां हाथ भी काट दिया.''

30 साल के डेविड मेइतेई और कुकी के बीच जातीय हिंसा के कई पीड़ितों में से एक है, जिसने 3 मई से पूर्वोत्तर राज्य को अपनी चपेट में ले लिया है.

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इस मामले में यातना देकर डेविड को हत्या कर दी गई. उसेक विकलांग पिता लालखुमलिएन के बगल में बैठकर बुओनखावलीन ने क्विंट हिंदी को डेविड की हत्या के बारे में बताया और कहा कि एक आदिवासी के रूप में हिंसा के बारे में वे क्या महसूस करते हैं?

'डेविड थीक- एक जुनूनी फुटबॉलर'

30 वर्षीय डेविड थीक चुराचांदपुर जिले के लंग्जा गांव में पले-बढ़े. दो भाई-बहनों में सबसे बड़े डेविड की मां की मृत्यु तब हो गई जब वह छह साल का था. उनके दोस्त उन्हें एक जुनूनी फुटबॉलर बताते हैं, जो अलग-अलग गांवों में टूर्नामेंट खेलते थे.

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    (फोटो: द क्विंट द्वारा एक्सेस किया गया)

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    (फोटो: द क्विंट द्वारा एक्सेस किया गया)

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    (फोटो: द क्विंट द्वारा एक्सेस किया गया)

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    (फोटो: द क्विंट द्वारा एक्सेस किया गया)

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    (फोटो: द क्विंट द्वारा एक्सेस किया गया)

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    (फोटो: द क्विंट द्वारा एक्सेस किया गया)

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    (फोटो: द क्विंट द्वारा एक्सेस किया गया)

स्कूल में 12वीं कक्षा के बाद, वे मुंबई चले गए जहां उन्होंने कथित तौर पर एक रेस्तरां में काम किया.

जब 2020 में कोविड आया तो डेविड अपने विकलांग पिता की देखभाल के लिए लैंग्जा में घर लौट आए. तब से वह घर पर ही था.

वह मुंबई लौटने की योजना बना रहे थे लेकिन 3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी. दो महीने बाद, उनके ही प्यारे से गांव में, उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई.

'उसे मारने की जगह उसे तकलीफें दी'

बुओनखावलियन ने द क्विंट को बताया कि हत्या के दिन डेविड और अन्य वालंटियर बदमाशों और चोरों की तलाश के लिए गांव में रुके थे, वो भी बिना किसी सुरक्षा उपकरण के.

क्विंट ने डेविड के चाचा और विकलांग पिता से बात की. उन्होंने बताया कि कैसे अमानवीयता की सारें हदें पार करते हुए डेविड की हत्या की गई.

डेविड के विकलांग पिता लालखुमलिएन के बगल में बैठकर बुओनखावलीन क्विंट को डेविड और उसकी हत्या के बारे में बताते हुए.

(फोटो: द क्विंट द्वारा एक्सेस किया गया)

बुओनखावलीन ने बताया, "जब वालंटियरस तलाश में थे, भारी हथियारों के साथ आतंकवादियों ने धावा बोल दिया और पूरे गांव को घेर लिया. उन्होंने डेविड के साथ कुछ वालंटियरस को पकड़ लिया और उनसे पूछा कि वे किस जनजाति के हैं. डेविड ने उत्तर दिया, "मैं हमार हूं, जो चाहो करो", 'वह परिणाम भुगतने के लिए तैयार था.'

इसके तुरंत बाद, डेविड के चाचा के मुताबिक, भीड़ ने उसकी गर्दन को रस्सी से बांध दिया और उसे खेल के मैदान के पास एक मैदान में खींच लिया.

"उन्होंने उसकी दाहिनी आंख निकालकर उसे तकलीफ दी और फिर उसका दाहिना हाथ काट दिया और पूछा, 'क्या तुम्हें दूसरा हाथ चाहिए?' फिर उन्होंने उसका बायां हाथ भी काट दिया. उसे बंदूकों से खत्म करने के बजाय, उन्होंने उसे तकलीफें दीं, जैसे कि उनका दर्द देकर मन नहीं भरा हो, फिर उन्होंने उसके पैर भी काट दिए."
डेविड के चाचा

फिर, डेविड का कथित तौर पर सिर काट दिया गया. बुओनखावलीन ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, "अपने जनजाति और समुदाय के प्रति हमारे बेटे की प्रतिबद्धताओं के बावजूद, उन्होंने उसे अमानवीय रूप से प्रताड़ित किया."

डेविड के पिता लालखुमलीन, जो पहले स्ट्रोक से पीड़ित थे और अब विकलांग हैं, अपने बेटे की चौंकाने वाली मौत के बाद उनकी स्वास्थ्य स्थिति खराब हो गई है.

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FIR दर्ज, जांच जारी, अबतक कोई गिरफ्तारी नहीं

डेविड के चाचा बॉनखावलीन ने 2 जुलाई को चुराचांदपुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में कहा गया है कि डेविड के शरीर के हिस्सों को "टुकड़ों में काटकर जला दिया गया और उसका सिर बांस की बाड़ पर लटका दिया गया."

चुराचांदपुर पुलिस स्टेशन में अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या और अनधिकृत आग्नेयास्त्र रखने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी. मामला बिष्णुपुर के कुंभी पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया गया. बिष्णुपुर पुलिस ने द क्विंट को बताया कि जांच जारी है, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.

डेविड के चाचा ने निष्कर्ष निकाला, "यह सिर्फ डेविड के बारे में नहीं है. पूरे मणिपुर में आदिवासी उत्पीड़ित महसूस कर रहे हैं." मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण लगभग 200 लोग मारे गए हैं और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं.

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