असम में लोकसभा चुनाव के पहले चरण के ठीक पहले बीफ बेचने के आरोप में मॉब लिंचिंग की घटना सामने आयी है. पुलिस के मुताबिक, रविवार 7 अप्रैल को भीड़ ने शौकत अली नाम के व्यक्ति पर बीफ बेचने के आरोप में हमला कर दिया. ये घटना बिश्वनाथ चारीली इलाके में घटित हुई है.
फेसबुक पर इस घटना का वीडियो आया सामने
फेसबुक पर इस घटना का एक वीडियो शेयर किया गया है. इस वीडियो में एक आदमी को बाजार के एक हिस्से में लोगों की भीड़ पीटते हुई दिख रही है. भीड़ में शामिल लोग उससे उसकी पहचान पूछ रहे हैं.
पुलिस के मुताबिक, शौकत अली इस इलाके में पिछले 35 सालों से अपना कारोबार कर रहा है. बाजार में लगने वाले साप्ताहिक हाट में उसकी मीट की दुकान है जहां वो लोगों को पका हुआ मांस बेचता है. भीड़ ने गोमांस बेचने के कथित आरोप में उसपर हमला किया.
शेयर किये वीडियो में, शौकत अली से पूछा जा रहा है कि क्या वह बांग्लादेशी है? क्या उसके उसके पास लाइसेंस है? और कुछ लोग उसके NRC प्रमाण पत्र के होने का भी सवाल पूछ रहे हैं.
एक दूसरे वीडियो में, भीड़ शौकत को एक पैकेट से खाना खाने के लिए मजबूर कर रही है, जिसमें सूअर का मांस होने का दावा किया जा रहा है.
पुलिस ने दर्ज किया FIR, जांच जारी
द क्विंट को घटना की पुष्टि करते हुए, कैचर के पुलिस अधीक्षक राकेश रोशन ने बताया कि शौकत के रिश्तेदारों में से एक ने FIR दर्ज की है और जांच जारी है. साथ ही रोशन ने यह भी बताया कि इस घटना में एक अन्य व्यक्ति के साथ भी भीड़ ने दुर्व्यवहार किया. इस वीकली हाट को मैनेज करने वाले करन थापा के साथ भी भीड़ ने दुर्व्यवहार किया था.
घायल शौकत अली का इलाज असम के एक स्थानीय अस्पताल में चल रहा है.
क्या कहता है मवेशी अधिनियम 1950?
असम मवेशी संरक्षण अधिनियम 1950 के तहत मवेशियों के वध पर प्रतिबंध है. इस कानून के तहत 14 साल से ज्यादा उम्र के जानवरों को काटने की इजाजत है. लेकिन इससे पहले पशु चिकित्सक, राज्य पशु कल्याण या पशु पालन विभाग से प्रमाणपत्र लेना होता है कि कटने वाला जानवर अब न तो प्रजनन के योग्य है और न ही किसी काम के लायक. असम का यह कानून अन्य राज्यों की तरह गाय, बैल, भैंस आदि में फर्क भी नहीं करता.
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