लखनऊ (Lucknow) की एक अदालत में गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी (Sanjeev Maheshwari) उर्फ जीवा (Jeeva) की हत्या कर दी गई है. जब संजीव जीवा को सुनवाई के लिए कोर्ट लाया गया तो वहां वकील की शक्ल में मौजूद एक हमलावर ने उसे गोलियों से भून दिया. इसके बाद हमलावर विजय यादव (Vijay Yadav) को पकड़ लिया गया है.
क्या विजय यादव कोई नामी गैंगस्टर है? विजय पर कितने आपराधिक मामले हैं? फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है. लेकिन मीडिया से हुई बातचीत में विजय यादव के पिता ने अपने बेटे के बारे में काफी कुछ बताया है.
लखनऊ कोर्ट परिसर में गोली मारकर संजीव जीवा की हत्या करने वाला आरोपी शूटर विजय यादव उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के केराकत थाना क्षेत्र का रहने वाला है. घटना की जानकारी लगते ही केराकत थाने के सीओ और इंस्पेक्टर पुलिस फोर्स के साथ सरकी चौकी क्षेत्र के सुल्तानपुर गांव पहुंचे. वहां विजय के परिवार से पूछताछ की गई.
विजय के पिता ने क्या-क्या बताया?
आरोपी विजय यादव के पिता श्यामा यादव ने बताया कि, उन्हें विजय को लेकर कोई जानकारी नहीं थी, हाल में उनका विजय से कोई संपर्क भी नहीं हो पा रहा था.
उन्होंने बताया कि, विजय ने शहर के एक डिग्री कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई की जिसके बाद वह काम की तलाश में मुंबई गया. मुंबई में वह टाटा की कंपनी में काम करता था, लेकिन काम में मन न लगने की वजह से उसने नौकरी छोड़ दी थी.
श्यामा यादव ने बताया कि, 11 मई को विजय सुल्तानपुर से लखनऊ गया था. वहां भी वो नए काम की तलाश में गया था. श्यामा ने बताया कि, एक दिन विजय का फोन आया और उसने कहा कि, उसे नौकरी मिल गई है. उसने बताया कि, वह जलापूर्ति के लिए पाइप बिछाने वाली किसी कंपनी में काम करता है.
कैसा थाा विजय यादव का व्यवहार?
विजय के पिता ने बताया कि, उसे नौकरी मिलने की मुझे खुशी. लेकिन उलसे बाद विजय से हमारा कोई संपर्क नहीं हो पाया, उसे हमने कई बार फोन किया लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ ही आता था.
विजय के पिता ने बताया कि, जब मैं बाहर चाय पीने निकला तो मुझे प्रधानजी ने बताया कि आपका बेटे गोलीबारी के कारण सूर्खियों में हैं. मुझे इस बात पर यकीन ही नहीं हुआ. मुझे विश्वास ही नहीं था कि मेरा बेटा भी ऐसा कर सकता है. मुझे हमारे परिचित ने भी मोबाइल में उसकी फोटो बता कर पूछा कि क्या ये आपका बेटा है, मैंने उनसे कहा, हां ये मेरा बेटा है.
विजय यादव के भाई ने बताया कि उसका भी विजय से कोई संपर्क नहीं हुआ था. उसने कहा कि, जब भी भाई (विजय) घर पर आता था वो किसी से बातचीत नहीं करता है, उसे खुद में ही रहने की आदत है. वह गांव में ही किसी से बात नहीं करता था. यहां तक कि वह अपने घर से भी ज्यादा बाहर नहीं निकलता था.
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