सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित राज्यों से पूछा है कि केंद्र से मिले निर्भया फंड के पैसे का उन्होंने क्या किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये राज्य यौन हमलों और एसिड अटैक से पीड़ित महिलाओं को मुआवजा देने के लिए जारी किए गए सेंट्रल फंड का हिसाब-किताब लेकर उसके सामने पेश हों.
चार सप्ताह में जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एम बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने केंद्र की ओर से जारी किए गए निर्भया फंड का इस्तेमाल करने के तरीके पर उसके सामने चार सप्ताह में नोटिस दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताते हुए कहा कि बार-बार ध्यान दिलाने पर भी राज्य जवाब नहीं देते.
एमिकस क्यूरी और वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा, राज्य इस मामले में जवाब देने के लिए बाध्य है. राज्यों से पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने निर्भया फंड के तहतकितना पैसा हासिल किया और कितना खर्च किया.
निर्भया कांड के बाद बना था यह फंड
16 दिसंबर, 2012 में दिल्ली में निर्भया के नृशंस गैंग रेप और हत्या के बाद पूरे देश में भारी गुस्सा देखने को मिला. दिल्ली समेत कई राज्यों में जोरदार आंदोलन हुए थे और उसके बाद ऐसे मामलों में पीड़ितों की मदद के लिए निर्भया फंड जारी करने का फैसला किया गया था. यह एसिड पीड़ितों के पुनर्वास के लिए भी इस्तेमाल होता है.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि राज्य यौन और एसिड हमलों के पीड़ितों को दिए जाने वाले मुआवजा बांटने में सहयोग नहीं कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने नाल्सा और दूसरी एजेंसियां रेप और एसिड अटैक पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए कोई मॉडल रूल बनाए. 16 दिसंबर,2012 को निर्भया गैंग रेप मामले के बाद महिलाओं की सुरक्षा और हिफाजत के लिए छह याचिकाएं दायर की गई थीं.
इनपुट : पीटीआई
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)