ADVERTISEMENTREMOVE AD

दरवेश यादव का कत्ल बंदूक की गोली से नहीं ‘ईर्ष्या की आग’ से हुआ

दरवेश यादव 2 दिन पहले ही यूपी बार काउंसिल की पहली अध्यक्ष चुनी गईं थीं.

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

जेलिसी यानी ईर्ष्या वो आग है जिसमें तमाम रिश्ते जलकर खाक हो जाते हैं. दोस्ती दुश्मनी में बदल जाती है और जिंदगी मौत में. 12 जून को आगरा कोर्ट में कुछ ऐसी खौफनाक वारदात हुई. दोपहर करीब पौने तीन बजे धांय-धांय करके 5 गोलियां चलीं और हंसती-खेलती जिंदगी खत्म हो गई.

आगरा की एडवोकेट दरवेश यादव 2 दिन पहले ही यूपी बार काउंसिल की पहली अध्यक्ष चुनी गईं थीं. इस पद पर पहुंचने वाली वो पहली महिला थीं. कोर्ट परिसर में दरवेश का ही स्वागत समारोह चल रहा था.

चश्मदीदों के मुताबिक दरवेश यादव, सीनियर एडवोकेट अरविंद कुमार मिश्रा के चैंबर में बैठी हुई थीं. तभी एडवोकेट मनीष शर्मा दरवेश यादव के पास पहुंचे. दोनों के बीच कुछ बहसबाजी हुई और मनीष ने एक के बाद एक पांच गोलियां चला दीं. उसके निशाने पर थीं दरवेश यादव और उनका रिश्तेदार मनोज. मनीष ने सबसे पहले मनोज को गोली मारी लेकिन मनोज नीचे झुककर बच गया. फिर मनीष ने लगातार 3 गोलियां दरवेश पर दागीं. वहां मौजूद लोग कुछ कर पाते तब तक पांचवी गोली मनीष ने खुद को मार ली. और ये गोली मनीष की कनपटी के पार कर निकल गई. सब कुछ इतना अचानक हुआ कि हर कोई अवाक रह गया. गोली चलने से कोर्ट परिसर में अफरातफरी फैल गई. स्वागत की खुशियां मातम में बदल गईं.

आगरा सिटी के ASP प्रवीण वर्मा ने बताया कि वारदात के बाद दरवेश को पुष्पांजलि अस्पताल ले जाया गया. जहां उसे डेड डिक्लेयर कर दिया गया. मनीष शर्मा ने वारदात में लाइसेंसी पिस्तौल का इस्तेमाल किया था. अब पिस्तौल पुलिस के कब्जे में है.


खास बात ये है कि मनीष शर्मा दरवेश यादव का करीबी एडवोकेट है. दरवेश के फेसबुक पर भी उनकी आरोपी मनीष शर्मा के साथ कई तस्वीरें देखी जा सकती हैं. लेकिन लोगों का मानना है कि वो दरवेश के बढ़ते कद और उनकी कामयाबी से जलने लगा था और इसी की वजह से उसने इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दिया.

दरवेश यादव की हत्या पर मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने शोक व्यक्त किया है. उन्‍होंने डीएम को तत्काल घटना के कारणों की जांच करने का निर्देश दिया है.

बार काउंसिल ने राज्य सरकार से दरवेश यादव के परिवार को 50 लाख के मुआवजे के साथ काउंसिल मेबर्स की सुरक्षा की मांग की है. लेकिन सवाल वही है कि अगर कोई अपना करीबी ही यमराज की शक्ल अख्तियार कर ले तो भला कोई कैसे बचे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×