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वाराणसी: किताब लेने निकली थी- ट्रेन में पड़ी बोरी में मिली लाश, पुलिस पर परिवार का संगीन आरोप

Varanasi Crime: वाराणसी पुलिस ने एक आधिकारिक बयान में बताया कि पुलिस ने इस मामले में चार टीमें गठित की हैं.

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Varanasi Crime: 11वीं में पढ़ने वाली सोनाली पाल (बदला हुआ नाम) अपने घर से किताब लेने के लिए पास के ही बाजार के लिए निकली. सोनाली के घरवालों को उस समय बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वह अपनी बेटी को आखिरी बार जिंदा देख रहे हैं. तीन दिन बाद जूट के एक बोरे में सोनाली की लाश बनारस स्टेशन पर खड़ी इंटरसिटी एक्सप्रेस की एक बोगी से बरामद हुई. हाथ और पैर बंधे हुए थे. शव की हालत ऐसी थी कि सोनाली के परिजनों ने उसकी पहचान कपड़ों से की.

पुलिस ने इस मामले में अपहरण का मुकदमा दर्ज किया था. वाराणसी पुलिस ने एक आधिकारिक बयान में बताया कि पुलिस ने इस मामले में चार टीमें गठित की हैं, जो घटना के खुलासे का प्रयास कर रही हैं.

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तीन दिन तक खोजते रहे परिजन, बोरी में मिली बेटी की लाश

तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी, 16 वर्षीय सोनाली वाराणसी के कपसेठी में एक स्थानीय इंटर कॉलेज में कक्षा 11 की स्टूडेंट थी. पिता के मुताबिक 19 फरवरी की सुबह 11 बजे सोनाली साइकिल से किताब लेने जंसा थाना क्षेत्र के बेसहूपुर बाजार गई. देर शाम तक जब वह घर नहीं लौटी तो परिजनों ने खोजबिन शुरू की.

छात्रा का कहीं पता नहीं चलने पर परिजन 20 फरवरी की दोपहर कपसेठी थाने में मुकदमा दर्ज कराने पहुंचे. सोनाली के पिता का आरोप है कि पुलिस वालों ने उन्हें अपने स्तर पर खोजबीन करने को कहा.

परिजनों को तीन दिन तक गायब हुई नाबालिग बेटी की कोई खोज खबर नहीं मिली. परिजन शहर के कोने-कोने बेटी की सकुशल वापसी के लिए खाक छानते रहे लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. 22 फरवरी को बनारस स्टेशन पर ट्रेन में मिली लड़की की लाश की सूचना पर सोनाली के परिजन स्टेशन पहुंचे.

बोरी में एक लड़की की लाश लखनऊ- बनारस इंटरसिटी ट्रेन की एक बोगी से बरामद हुई थी. हाथ और पैर बंधे हुए थे. शव की स्थिति कुछ ऐसी थी कि चेहरे से उसकी पहचान करना मुश्किल था. पुलिस की सूचना पर पहुंचे सोनाली के परिजनों ने अपनी बेटी की पहचान उसके कपड़ों से की. परिजनों को जरा भी अंदाजा नहीं था कि जिस बेटी की खोजबीन व पिछले तीन दिनों से कर रहे हैं, उसकी लाश लेकर घर वापस लौटेंगे.

पुलिस की कोताही से मां-बाप ने खो दी बेटी?

अपहरण की किसी भी मामले में घटना के बाद के कुछ घंटे पीड़ित/पीड़िता के सकुशल बरामद के लिहाज से महत्वपूर्ण माने जाते हैं.

सोलानी के पिता के मुताबिक 19 फरवरी को बेटी के घर वापस न आने पर परिजन 20 फरवरी की दोपहर कपसेठी थाने गए. आरोप है कि वहां मुकदमा दर्ज करने की बजाय उन्हें यह कहकर वापस भेज दिया गया कि आसपास खोज लीजिए, आ जाएगी.

हालांकि, अगले दिन यानी 21 फरवरी को परिजनों की तहरीर पर पुलिस ने अपहरण की धाराओं में कपसेठी थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया.

इसके तकरीबन 24 घंटे बाद सोनाली की लाश रेल के डिब्बे से बरामद हुई. पुलिस ने अभी इस मामले में हत्या या किसी अन्य धारा की बढ़ोतरी नहीं की है. अधिकारियों का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही सुसंगत धाराओं की वृद्धि की जाएगी.

जांच कर रहे पुलिसकर्मियों की माने तो इस मामले में पीड़िता के गांव के आसपास की दुकानों और बैंकों में लगे सीसीटीवी कैमरे को खंगाला जा रहा है. इस बिंदु पर भी जांच की जा रही है कि पीड़िता का शव बनारस स्टेशन पर खड़ी लखनऊ- बनारस इंटरसिटी ट्रेन में कैसे पहुंचा. सोनाली के पिता का कहना है कि उनकी किसी से कोई रंजिश नहीं थी. ऐसे में सोनाली की हत्या किसने की और क्या कारण था? इन सवालों के जवाब भी अभी वाराणसी पुलिस को ढूंढने हैं.

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पोस्टमार्टम के बाद 22 फरवरी की दोपहर परिजनों को लाश सौंप दी गई. बेटी का शव लेकर परिजन सीधा सर्किट हाउस पहुंचे और पुलिस प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शहर में आगमन को लेकर पुलिस और प्रशासन पहले से अलर्ट है. ऐसे में परिजनों के प्रदर्शन से पुलिस प्रशासन सकते में आ गया.

न्याय की गुहार लगा रहे परिजनों को पुलिसकर्मियों ने ने समझा-बुझाकर कपसेठी भेज दिया. वहां सैकड़ों की संख्या में परिजनों और लोगों ने रात 10 बजे तक थाने पर हंगामा किया. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की हस्तक्षेप के बाद परिजनों ने रात में शव का अंतिम संस्कार कर दिया.

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