कुमाऊं में तराई से पहाड़ तक नशे के सौदागरों का जाल फैलता जा रहा है. स्मैक, हेरोइन जैसे जानलेवा मादक पदार्थ तराई से पहाड़ पर पहुंच रहे हैं. नशीली दवाइयों व इंजेक्शन की लत से युवा खोखले होते जा रहे हैं. जिसकी काली हकीकत चौंकाने वाली है. उत्तराखंड के सीमावर्ती जिला बरेली उत्तर प्रदेश नशे के काले कारोबार के लिए कुख्यात हो चुका है. सूत्रों के मुताबिक बरेली जनपद में भारी मात्रा में स्मैक बनाने का काम ड्रग स्मगलर कर रहे हैं.
इसका खुलासा उत्तराखंड पुलिस लगातार कर रही है. उत्तर प्रदेश के पकड़े गए तस्करों द्वारा बताया जाता है कि वह खुद स्मैक बनाने का काम करते हैं और उत्तराखंड में लाकर ऊंचे दामों में सप्लाई कर रहे हैं. वहीं उत्तराखंड में युवा नशे की लत के आदी बनते जा रहे हैं.
ग्रामीण मार्गों का कर रहे इस्तेमाल:
गौर हो कि उत्तराखंड पुलिस द्वारा स्मैक तस्करों के खिलाफ लगातार कार्रवाई के बाद भी नशे का काला कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है. यहां तक कि अब कारोबारी नशे की तस्करी के लिए उत्तराखंड उत्तर प्रदेश से लगे ग्रामीण मार्गों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे वह पुलिस की पकड़ में ना आ सकें. स्मैक के नशे ने पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों के युवाओं को भी अपने चपेट में ले लिया है. उत्तराखंड में छोटे-छोटे बच्चे स्मैक के नशे के आदी हो रहे हैं.
चौंकाने वाले आंकड़े
डीआईजी कैंप कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक कुमाऊं मंडल में स्मैक सहित अन्य नशे के कारोबार के मामले में पिछले 6 महीनों यानी जनवरी से जून माह 2022 तक 255 मामले पंजीकृत किए हैं. इनमें 326 गिरफ्तारियां हुई हैं. पुलिस ने 5 किलो 197 ग्राम स्मैक, 49.156 किलोग्राम चरस, 6550 नशीली गोलियां, 200 नशीली कैप्सूल, 7686 नशे के इंजेक्शन, 613.767 किलोग्राम गांजा, 1.571 किलोग्राम हेरोइन 3.876 अफीम बरामद की है.
उधम सिंह नगर में सबसे ज्यादा मुकदमे दर्ज
आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा उधम सिंह नगर में 99 एनडीपीएस के मुकदमे दर्ज हुए हैं. नैनीताल जनपद में 90 चंपावत में 26, पिथौरागढ़ में 7, बागेश्वर में 16 अल्मोड़ा में 17, मुकदमे दर्ज हुए हैं.
ह्ल्द्वानी एसपी सिटी हरबंस सिंह का कहना है कि, नशे के काले कारोबार को रोकने के लिए पुलिस और एसओजी के द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है. स्मैक तस्कर उत्तर प्रदेश से स्मैक उत्तराखंड में बेच रहे हैं. पुलिस की कार्रवाई में 90 प्रतिशत तस्कर उत्तर प्रदेश के पकड़े गए हैं. तस्करों के चोर रास्तों पर भी पुलिस की पैनी नजर है और खुफिया तंत्र भी मजबूत किया गया है. जिससे नशे के कारोबार पर लगाम लगाई जा सके.
पुलिस की चुनौतियां कम नहीं: वहीं नशे के खिलाफ पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है. इसके अलावा काउंसलिंग और जन जागरूकता के माध्यम से नशे से लोगों को दूर रहने और उससे होने वाले दुष्प्रभाव को लेकर जागरूक भी किया जा रहा है. जिसका नतीजा है कि नशा कारोबारियों को बड़ी संख्या में गिरफ्तारी भी हुई है. इसके बावजूद नशे के कारोबार पर लगाम नहीं लग रही है और युवा नशे के मकड़जाल में फंसते जा रहे हैं. जो पुलिस महकमे के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.
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