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दिल्ली में ईसाई समुदाय पर हमला, यीशु की तस्वीर तोड़ी, "जय श्रीराम" के नारे लगाए

कट्टर हिंदुओं के समूह का मानना था कि घर में हो रहे प्रार्थना सभा में धर्म परिवर्तन किया जा रहा था. उन्होंने प्रार्थना सभा में मौजूद बाइबिल की किताब फाड़ दी और परिसर में जमकर तोड़फोड़ किया.

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"उन्होंने ड्रम फाड़ दिया. म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट और माइक भी तोड़ दिया. यहां 12 शिष्यों की जो तस्वीर लगी थी उसे चकनाचूर कर दिया. वो इस तस्वीर के ऊपर लगे शीशे को पूरी तरह से नष्ट कर 'जय श्री राम' का नारा लगाते हुए चले गए. जाते समय, वो हमारे दो लोगों जॉनी और शिवम को घसीट कर ले गए." उन्होंने जॉनी और शिवम की खूब पिटाई की और गली के बाहर ले जाकर उन्हें फेंक दिया.'' यह कहना है दिल्ली के ताहिरपुर गांव में रहने वाले, टूटी कुर्सियों और कांच के ढेर पर बैठे पादरी सतपाल भाटी का.

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राजीव गांधी मेमोरियल अस्पताल के सामने ताहिरपुर गांव में 20 अगस्त की सुबह अचानक अफरा-तफरी मच गई. यहां हिंदुत्व दक्षिणपंथी समूहों से जुड़े 15 से 20 लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर एक ईसाई प्रार्थना सभा पर हमला कर दिया था. पादरी भाटी इस घर में पिछले 12 साल से प्रार्थना सभा आयोजित कर रहे हैं.

शिकायत करने वालों का दावा है कि "कट्टर हिंदुओं का समूह यह मान रहा था कि घर में हो रहे प्रार्थना सभा में धर्म परिवर्तन किया जा रहा था. उन्होंने प्रार्थना सभा में मौजूद पुरुष और महिलाओं दोनों की बहुत पिटाई की, बाइबिल की एक किताब फाड़ दी और परिसर में जमकर तोड़फोड़ किया. मामले में जीटीबी नगर पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर दर्ज की गई है."
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कट्टर हिंदुओं के समूह का मानना था कि घर में हो रहे प्रार्थना सभा में धर्म परिवर्तन किया जा रहा था. उन्होंने प्रार्थना सभा में मौजूद  बाइबिल की किताब फाड़ दी और परिसर में जमकर तोड़फोड़ किया.

पादरी सतपाल भाटी पर दिल्ली में प्रार्थना सभा आयोजित करते समय भीड़ ने हमला कर दिया था.

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घटना के प्रमुख गवाह पादरी सतपाल भाटी का जन्म गुज्जर परिवार में हुआ था. इन्होंने बाद में ईसाई धर्म अपना लिया. पादरी सतपाल भाटी ने इस पूरे मामले पर विस्तार में बात करते हुए बताया कि हम किसी का धर्म परिवर्तन नहीं कर रहे हैं. कोई भी यहां धर्म परिवर्तन कराने के लिए कभी नहीं आया है. जो भी लोग यहां आते हैं वो हमेशा ईसा मसीह के अनुयायी रहे हैं.

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उपद्रवियों ने ईसा मसीह का भजन गाने से मना किया

भाटी ने बताया कि प्रार्थना सभा में 30-35 लोग शामिल थें. इनमें अधिकतर महिलाएं थीं. जब वो लोग प्रार्थना कर रहे थे, तभी अचानक बाहर से डीजे पर धार्मिक गाने की आवाज जोर-जोर से आने लगी. इससे सभी लोग डिस्टर्ब हो गए. उन्हें महसूस हुआ कि ये आवाज उनकी गली से ही आ रही है. उन्होंने प्रार्थना सभा में मौजूद एक सदस्य से कहा कि वो बाहर जाकर देखे कि आखिरकार क्या हो रहा है?

तब तक उनमें से कुछ लोग घर में दाखिल हो गए. उन लोगों के हाथों में लकड़ी का डंडा, लोहे की छड़ें और चाकू था. उन लोगों ने हमसे पूछा कि हम क्या कर रहे हैं? मैंने बताया कि हम भजन गा रहे थे. तभी उनमें से एक शख्स ने पूछा कि हम किसके भजन गा रहे हैं. जवाब में मैंने भी बता दिया कि हम यीशु मसीह का भजन गा रहे हैं.

इतने में वो भड़क उठे और उन्होंने कहा कि ऐसी प्रार्थनाओं की अनुमति नहीं दी जाएगी. गुस्से में उन्होंने कहा कि यह एक हिंदू राष्ट्र है और यहां की अदालत में एक कानून पारित किया गया है, जो कहता है कि ऐसी प्रार्थनाओं की अनुमति नहीं दी जाएगी.

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कट्टर हिंदुओं के समूह का मानना था कि घर में हो रहे प्रार्थना सभा में धर्म परिवर्तन किया जा रहा था. उन्होंने प्रार्थना सभा में मौजूद  बाइबिल की किताब फाड़ दी और परिसर में जमकर तोड़फोड़ किया.

भीड़ द्वारा तोड़े गए ईसा मसीह के 12 शिष्यों के चित्र के टूटे हुए कांच के टुकड़े.

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पादरी भाटी ने आगे बताया कि जब हम उनसे बात करने की कोशिश कर रहे थे, तब उनमें से कुछ लोग आक्रामक हो गए. उनमें से कुछ लोगों ने हमें मारना शुरू कर दिया. एक महिला जब एक लड़के को बचाने के लिए आगे आई, तो उन लोगों ने उसे धक्का दे दिया और रॉड से उसके पैर पर खूब मारा. ऐलिस नामक एक अन्य महिला को भी रॉड से मारा गया. प्रार्थना सभा में मौजूद लोगों ने पहचान न उजागर करने की शर्त पर बताया कि भीड़ में से कुछ लोगों के पास चाकू भी थे. उन्होंने उन चाकुओं से ड्रम और बाकि संगीत वाद्ययंत्र को फाड़ दिया. सतपाल भाटी ने कहा...

"यहां केवल पांच-सात पुरुष थे. क्योंकि आमतौर पर प्रार्थना सभा के लिए महिलाएं अधिक आती हैं. उन्होंने जॉनी, शिवम और अभिषेक को लोहे के छड़ से मारा. महिलाओं ने उन्हें बचाने की कोशिश की. पायल नाम की एक लड़की ने जब हिंसा कर रहे एक युवक को अपने हाथ से रोकने की कोशिश की. तो उसने उस लड़की पर भी हमला कर दिया और वह घायल हो गई. उसका हाथ सूज गया है."
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भाटी ने कहा कि मौका मिलते ही हमने पुलिस हेल्पलाइन नंबर 100 पर डायल कर पुलिस को घटना की सूचना दी. लेकिन वो FIR दर्ज नहीं कर रहे थें. क्योंकि दक्षिणपंथी संगठन के उपद्रवी लोगों ने जीटीबी नगर पुलिस स्टेशन में फोन कर यह दावा किया था कि इस प्रार्थना सभा में धर्म परिवर्तन किया जा रहा था.

पादरी ने आगे की बात करते हुए कहा कि...

"FIR दर्ज न होने पर मैंने कुछ अन्य पादरी मित्रों को बुलाया और हम सभी पुलिस स्टेशन गए. पुलिस ने मुझसे पूछा कि वो कौन लोग थे. मैंने उन्हें बताया कि मैं उन्हें नहीं जानता और मैंने उन्हें पहले कभी नहीं देखा है. मेरी उनसे कभी कोई मुलाकात नहीं हुई है. मेरे इतना कहने के बाद पुलिस ने FIR दर्ज की."
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हमले से बुरी तरह प्रभावित हैं पीड़ित लोग

हमले के बाद घायल महिला पायल और एलिस को इलाज के लिए जीटीबी अस्पताल ले जाया गया है.

FIR भारतीय दंड संहिता (IPC) की निम्नलिखित धाराओं के तहत दर्ज की गई है:

  • धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए सजा)

  • धारा 452 (चोट, हमले या गलत तरीके से रोकने की तैयारी के बाद घर में अतिक्रमण)

  • धारा 295 (किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को नुकसान पहुंचाना या अपवित्र करना)

  • धारा 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य)

  • धारा 296 (धार्मिक सभा में विघ्न डालना)

  • धारा 297 (चर्च आदि पर अतिक्रमण)

  • धारा 298 (किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के जानबूझकर इरादे से बोलना, शब्द इत्यादि)

  • धारा 354 (महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल)

  • धारा 153ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना)

  • धारा 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किया गया कार्य)

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भाटी ने बताया कि घटना के बाद से इलाके में रहने वाले ईसाई समुदाय के लोग डरे हुए हैं. उन्होंने कहा...

"अगर उनके घरों में घुसकर उन्हें डंडों से पीटा जाएगा, तो लोगों का डरना लाजिमी है. यह मेरी निजी संपत्ति है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. उनके समुदाय के किसी भी व्यक्ति ने पहले मुझसे बात तक नहीं की."

आगे पादरी भाटी ने कहा कि हम अगले सप्ताह भी प्रार्थना करेंगे. हमें प्रार्थना करने से कोई नहीं रोक सकता. लोग अपने घरों में प्रार्थना करते हैं, हम अपने घर पर प्रार्थना कर रहे थे. हम किसी को परेशान नहीं कर रहे थे.

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