दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 सितंबर को एक आदेश में कहा कि नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली दंगे (Delhi Riots 2020) 'अचानक से नहीं हुए' और ये 'पहले से प्लान की गई साजिश' के तहत हुए. कोर्ट ने कहा कि वीडियो के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों का आचरण स्पष्ट रूप से दिखाता है कि ये सरकार के "कामकाज को अस्त-व्यस्त करने" के साथ-साथ शहर के सामान्य जीवन को बाधित करने के लिए पहले से प्लान की गई साजिश थी.
दिल्ली दंगे के एक आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए, जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, "सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्थित रूप से तोड़फोड़ भी शहर में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए पहले से प्लान की गई साजिश को कंफर्म करता है. ये इस तथ्य से भी स्पष्ट है कि सैकड़ों दंगाइयों ने बेरहमी से पुलिस के एक दल पर लाठियों, डंडों और बैट से हमला किया."
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने आरोपी मोहम्मद इब्राहिम को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसे दिल्ली पुलिस ने पिछले साल फरवरी में हुए दिल्ली दंगों के संबंध में गिरफ्तार किया था, जिस दौरान हेड कांस्टेबल रतन लाल की मौत हो गई थी.
विरोध प्रदर्शन के दौरान आरोपी मोहम्मद इब्राहिम कथित तौर पर तलवार लिए हुए था. उनके वकील ने तर्क दिया था कि रतन लाल की मौत तलवार से नहीं हुई थी, जैसा कि रिपोर्ट में उनकी चोटों को लेकर बताया गया था, और आरोपी ने केवल अपनी और परिवार की रक्षा के लिए तलवार उठाई थी. कोर्ट ने कहा कि निर्णायक सबूत जो कोर्ट को आरोपी की कैद को बढ़ाने की ओर झुकता है, वो ये है कि उसके द्वारा लिए जा रहे हथियार "गंभीर चोट या मौत का कारण बन सकता है, और ये प्रथम दृष्टया एक खतरनाक हथियार है."
जस्टिस प्रसाद ने कहा, "कोर्ट की राय है कि भले ही याचिकाकर्ता को अपराध स्थल पर नहीं देखा जा सकता है, लेकिन वो स्पष्ट रूप से भीड़ का हिस्सा था, क्योंकि याचिकाकर्ता ने जानबूझकर 1.6 किमी दूर तक तलवार के साथ यात्रा की थी, जो केवल हिंसा भड़काने और नुकसान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है."
पुलिस का आरोप है कि आरोपी उन प्रदर्शनकारियों में शामिल थे, जो 24 फरवरी, 2020 को चांद बाग इलाके और 25 फुटा रोड के पास जमा हुए थे.
लोकतांत्रिक राजनीति में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अहमियत को स्वीकार करते हुए जस्टिस ने स्पष्ट किया कि "व्यक्तिगत स्वतंत्रता का दुरुपयोग इस तरह से नहीं किया जा सकता है, जो सभ्य समाज के ताने-बाने को अस्थिर करने और अन्य लोगों को चोट पहुंचाने का प्रयास करता है."
कोर्ट ने मामले में 3 आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया है और 8 को रिहा करने का आदेश दिया है.
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