धनबाद (Dahanbad) के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-8 उत्तम आनंद हत्याकांड में फैसला आ गया है. सीबीआई की विशेष अदालत ने आरोपी लखन वर्मा और राहुल वर्मा को दोषी करार दिया है. लेकिन इस केस से अभी कई राज उठने हैं. अदालत ने आरोपियों को दोषी तो करार दे दिया है लेकिन आरोपियों के वकील जानना चाहते हैं कि ये तो पता चले कि आखिर किस मंशा से हत्या की गई.
जज रजनीकांत पाठक ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जेल में बंद ऑटो चालक लखन वर्मा और उसके दोस्त राहुल वर्मा को आईपीसी की धारा 302, 201, 34 के तहत दोषी करार दिया. अब छह अगस्त को सजा सुनाई जाएगी.
हत्याकांड के दिन क्या हुआ था?
बीते साल 28 जुलाई को ही धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर एक ऑटो ने जज उत्तम आनंद को टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई. घटना सुबह पांच बजे की थी. जज उत्तम आनंद उस वक्त सुबह टहलने निकले थे.
क्या कह रहे हैं दोनों पक्ष के वकील?
सीबीआई के विशेष अभियोजक अमित जिंदल ने कोर्ट के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अदालत के फैसले से वह संतुष्ट हैं.
यह काफी अच्छा फैसला है. सजा पर सुनवाई के दिन वह अदालत से दोनों मुजरिमों को फांसी की सजा देने की मांग करेंगे. दोनों अपराधियों ने देश की न्यायपालिका पर हमला किया है.
लखन वर्मा और राहुल वर्मा के वकील कुमार विमलेंदू ने कहा कि वह कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. लोअर कोर्ट के फैसले को वह हाईकोर्ट में चुनौती देंगे. उन्होंने कहा कि मोटिव और इंटेंशन ऑन रिकॉर्ड आया ही नहीं हैं. हत्या का कनेक्शन होना चाहिए. एक ऑटो ड्राइवर क्यों जज की हत्या करेगा? रिकॉर्ड में न तो मोटिव आया है और न ही इंटेंशन.
एक टेंपो ड्राइवर का एक जज से क्या ऐसा बैर होगा कि उनकी जानबूझकर हत्या कर दे. घटना के वक्त ऑटो के पीछे चल रहे एक चश्मदीद का कहना था कि दोनों ने जज की जानबूझ कर हत्या की. हम वही जानना चाह रहे हैं कि जानबूझ कर हत्या क्यों की? जिसका जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है. इससे बहुत गलत ट्रेंड सेट होगा. अब एक्सिडेंट में किसी की मौत पर उसे मर्डर करार दिया जाएगा.कुमार विमलेंदू, लखन वर्मा और राहुल वर्मा के वकील
फैसला सुनाते वक्त जज ने क्या कहा?
स्थानीय अखबार प्रभात खबर में छपी खबर के मुताबिक फैसला सुनाते वक्त जज रजनीकांत पाठक ने कहा कि, ‘जो भी फैसला होगा, यह अंतिम नहीं होगा. दोनों पक्षों को आगे जाने का रास्ता है. फैसला ऊपरवाला करेगा. हमारे पास जो साक्ष्य है, उसके आधार पर हम फैसला सुना रहे हैं.’
इस पर कोई विवाद नहीं है कि ऑटो लखन चला रहा था और राहुल उसकी बगल में बैठा हुआ था. अभियुक्तों ने अदालत को मिस लीड करने का भी प्रयास किया. अपना बयान बदलते रहे. कोर्ट में दोनों आरोपियों ने एक दूसरे पर आरोप लगाए. घटना को केवल दुर्घटना बताया. कहा कि गाड़ी के नीचे कुछ आ गया था, जिससे गाड़ी घूम गई. लेकिन साक्ष्यों से ऐसा नहीं लगता.
उत्तम आनंद हत्याकांड में जज
जज ने यह भी कहा कि, ‘अभियुक्तों ने दावा किया कि वह नशे में थे. लेकिन एक्सपर्ट्स ने टेस्ट के बाद कहा कि वह नशे में नहीं थे. ऐसे में यह साबित होता है कि दोनों ने जानबूझ कर जज उत्तम आनंद की हत्या की.’
वकील विमलेंदू इस बारे में कहते हैं, ‘देखिये पुलिस के हवाले से अखबारों में ये लगातार छपा कि दोनों उस वक्त नशे में थे. लेकिन अदालत का कहना है कि वह नशे में नहीं थे. जबकि वह रिपोर्ट पहले एफएसएल लैब रांची लाई गई. वहां जरूरी केमिकल के न होने की वजह से उसे दिल्ली भेजा गया. साथ ही जिस लैब में यह जांच की गई है, वह सीबीआई की अपना लैब है.’
जज उत्तम आनंद हत्याकांड की टाइमलाइन
28 जुलाई 2021 को घटना के बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. तीन अगस्त 2021 को झारखंड हाईकोर्ट ने एसआईटी जांच पर असंतोष जाहिर करते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया और झारखंड हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह लगातार इस मामले की मॉनिटरिंग करे. चार अगस्त को सीबीआई ने केस दर्ज किया. इसके बाद 20 अक्टूबर को 169 गवाहों के दर्ज बयान के साथ चार्चशीट दायर की.
साल 2022 में 2 फरवरी को दोनों आरोपियों के खिलाफ आरोप गठित कर मामले की जांच शुरू की गई. इस दौरान कुल 58 गवाहों से पूछताछ की गई. चार्ज फ्रेम होने के महज छह महीने में सुनवाई पूरी कर सीबीआई की विशेष अदालत ने फैसला सुना दिया. सीबीआई की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक यह जांच रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है.
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