गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत का तांडव अब तक नहीं थम पाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जापानी इंसेफ्लाइटिस से पिछले तीन दिन में (सोमवार से लेकर बुधवार तक) 34 और बच्चों की मौत हो चुकी है. यही नहीं, अब तक कुल मौतों का आंकड़ा 100 के पार पहुंच चुका है.
इस बीच, बुधवार को डीएम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स को जिम्मेदार ठहराया गया है. साथ ही बीआरडी के प्रिंसिपल आर के मिश्रा और एनिस्थिसिया डिपार्टमेंट के डॉ. सतीश का रवैया भी लापरवाही भरा बताया गया है.
गोरखपुर में हादसे के बाद ही हॉस्पिटल प्रबंधन, सरकार और डीएम के बयान विरोधाभासी रहे हैं. शुरूआत में सरकार ऑक्सीजन की कमी के कारण को खारिज कर रही थी. वहीं डीएम मौतों के लिए ऑक्सीजन की कमी को जिम्मेदार बता रहे हैं.
क्या होगी न्यायिक जांच?
बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में गोरखपुर हादसे की न्यायिक जांच की मांग करते हुए एक याचिका दायर की गई थी. इसमें हादसे की जांच के अलावा सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर बैन लगाने की मांग की गई है.
एंबू बैग से बच सकती थीं कई जानें
बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सिजन की कमी को एंबू बैग से पूरा किया जा सकता था. लेकिन वो या तो मुहैया नहीं हुए और अगर हुए तो लोगों को उनके इस्तेमाल का तरीका नहीं बताया गया.
मानवाधिकार आयोग ने भी मांगी रिपोर्ट
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 60 से ज्यादा बच्चों की मौत को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को एक नोटिस जारी कर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
आयोग ने प्रभावित परिवारों के राहत व पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों और दोषियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी है और रिपोर्ट जमा करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है.
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