एनडीए (NDA) की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) के खिलाफ तीन आपराधिक मामले दर्ज हैं वहीं विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति चुनाव के मैदान में खड़े यशवंत सिन्हा पर एक आपराधिक मामला दर्ज है. यह जानकारी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा दी गई है.
दोनों उम्मीदवारों की संपत्ति की बात करें तो इनकी संपत्ति करोड़ों में है. ADR के अनुसार, द्रौपदी मुर्मू की संपत्ति 2 करोड़ (2,08,80,000) से भी ज्यादा है. वहीं यशवंत सिन्हा की संपत्ति तीन करोड़ (3,65,76,217) से भी ज्यादा बताई गई है.
वहीं द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ तीन आपराधिक मामले और यशवंत सिन्हा के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज है.
कौन हैं द्रौपदी मुर्मू?
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में हुआ था. मुर्मू की शादी श्याम चरम मुर्मू से हुई थी. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में मयूरभंज जिले के कुसुमी ब्लॉक के उपरबेड़ा गांव के एक संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं. उन्होंने रामा देवी विमेंस कॉलेज से बीए की डिग्री हांसिल की है. डिग्री लेने के बाद उन्होंने ने कुछ समय तक ओडिशा के राज्य सचिवालय में नौकरी भी की थी. वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं.
उनकी राजनीतिक यात्रा 1997 में शुरू हुई जब वह ओडिशा के रायरंगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं. उसी साल वह रायरंगपुर की उपाध्यक्ष बनीं. ठीक तीन साल बाद, वह रायरंगपुर के उसी निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुनी गईं.
2000-2004 के बीच, नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली BJP सरकार में, उन्होंने परिवहन और वाणिज्य विभाग और मत्स्य पालन और पशुपालन में मंत्री पद संभाला. उन्हें 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए "नीलकांठा पुरस्कार" से सम्मानित किया गया था.
द्रौपदी मुर्मू ने 2002 से 2009 तक और फिर 2013 में मयूरभंज के बीजेपी जिलाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया. इस दौरान, उन्हें बीजेपी एसटी मोर्चा या पार्टी की अनुसूचित जनजाति विंग की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी बनाया गया था.
कौन हैं यशवंत सिन्हा?
साल 1993 में यशवंत सिन्हा बीजेपी में शामिल होने वाले थे. तब लाल कृष्ण आडवाणी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था सिन्हा पार्टी के लिए दिवाली गिफ्ट हैं. आज की तारीख में वही दिवाली गिफ्ट विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार है. यशवंत सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी के खास रहे, लेकिन मोदी सरकार बहुत पसंद नहीं आई. उन्होंने 2018 में ये कहते हुए पार्टी छोड़ दी थी कि आज पार्टी का जो स्वरूप है वह लोकतंत्र के लिए खतरा है.
एक आईएएस के रूप में करियर की शुरुआत करने वाले यशवंत सिन्हा ने 1984 में सर्विस से इस्तीफा दे दिया. फिर राजनीति में आ गए. जनता दल से शुरुआत की. बीजेपी से होते हुए टीएमसी में आ गए. लेकिन जहां भी रहे. मुखर होकर बोलते रहे. पार्टी में रहते हुए उन्होंने कहा था, आज की बीजेपी वह बीजेपी नहीं रह गई है जो अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के जमाने में थी.
साल 2018 में बीजेपी छोड़ने के बाद 2021 में वह ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी में शामिल हो गए.
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