‘मैं द्रौपदी मुर्मू ईश्वर की शपथ लेती हूं…' इसी शब्द के साथ द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली है. देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ उन्हें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने दिलाई है. शपथ समारोह में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, संसद सदस्य और सरकार के प्रमुख सैन्य अधिकारी मौजूद रहे.
राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, "मैं देश की पहली राष्ट्रपति हूं जिनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ था. स्वतंत्र भारत के नागरिकों के साथ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हमें अपने प्रयासों में तेजी लानी होगी."
उन्होंन कहा कि "सभी भारतीयों की अपेक्षाओं, आकांक्षाओं और अधिकारों के प्रतीक-संसद में खड़े होकर मैं आप सभी का नम्रतापूर्वक आभार व्यक्त करती हूं. इस नई जिम्मेदारी को निभाने के लिए आपका विश्वास और समर्थन मेरे लिए एक बड़ी ताकत होगी."
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि ये उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है. उन्होंने कहा,
"मैंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से शुरू की थी. मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूं, वहां मेरे लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था. लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी. ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है."
उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति पद का प्रत्येक पद मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है. मेरा नामांकन इस बात का प्रमाण है कि भारत में गरीब न केवल सपने देख सकते हैं बल्कि उन सपनों को पूरा भी कर सकते हैं."
उन्होंने कहा कि, "ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी. और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है."
ऐसे ऐतिहासिक समय में जब भारत अगले 25 वर्षों के विजन को हासिल करने के लिए पूरी ऊर्जा से जुटा हुआ है, मुझे ये जिम्मेदारी मिलना मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है.राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
मुर्मू ने अपने भाषण के आखिरी में कहां, "जगत कल्याण की भावना के साथ, मैं आप सब के विश्वास पर खरा उतरने के लिए पूरी निष्ठा व लगन से काम करने के लिए सदैव तत्पर रहूंगी."
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