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अर्थव्यवस्था में होगी 7.5 फीसदी की वृद्धिः अरुण जेटली

वित्तमंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि इस वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था में 7.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की जा सकती है.

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दूसरे तिमाही की जीडीपी से उत्साहित वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि पिछले साल की 7.3 प्रतिशत की वृद्धि दर से बेहतर रहेगी.

वित्त मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक जीडीपी वृद्धि साल 2015-16 में 7.5 प्रतिशत के आसपास रहेगी.

मुझे लगता है कि दूसरी तिमाही के आंकड़े हमें संतोष की भावना देते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि इस साल जीडीपी वृद्धि पिछले साल की तुलना में बेहतर रहेगी तथा अगले साल और बेहतर रहेगी.
अरुण जेटली, वित्तमंत्री

वित्तमंत्री ने कहा है कि प्रतिकूल वैश्विक हालात के बावजूद सितंबर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र ने 9.3 प्रतिशत की ‘महत्वपूर्ण’ वृद्धि दर्ज की. इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाली तिमाहियों में निजी क्षेत्र निवेश में बढ़ोतरी होगी.

उल्लेखनीय है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रही जो कि अप्रैल जून तिमाही में 7 प्रतिशत थी. इस बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा है, “मेरे विचार में दूसरी तिमाही के आंकड़ों से हमारे अंदर संतुष्टि का भाव आएगा. हमें इस साल वृद्धि दर पिछले साल की वृद्धि दर से बेहतर रहने की अपेेक्षा है. अगले साल यह और भी बेहतर होगी.”

भारतीय रेलवे के अनुबंध पर हस्ताक्षर संबंधी एक कार्यक्रम के मौके पर उन्होंने कहा, “जब प्रतिकूल वैश्विक हालात के बावजूद विनिर्माण क्षेत्र में बदलाव आने लगे तो मेरी राय में हमारे दृष्टिकोण से यह बहुत महत्वपूर्ण है.”

जेटली ने कहा कि देश के समक्ष अनेक घरेलू एवं वैश्विक चुनौतियां हैं और धीरे धीरे निजी निवेश बढ़ने लगा है.

वित्तमंत्री ने कहा, “वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी ने कम से कम हमारे निर्यात को स्पष्ट रुप से प्रभावित किया. इस तरह से यह एक चुनौती है. इसके अलावा निजी क्षेत्र निवेश अब ब़ढना शुरु हो गया है. मुझे उम्मीद है कि आने वाले महीनों में इसमें और तेजी से बढ़ोतरी होगी. विशेषकर नई परियोजनाओं में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ा है.”

सीएसओ की ओर से जारी किए गए आंकड़ाें के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई सितंबर में 9.3 प्रतिशत रही जो कि एक साल पहले की समान अवधि में 7.9 प्रतिशत थी.

जेटली ने कहा कि लगातार दो साल तक सामान्य से कमजोर मानसून की ‘बड़ी प्रतिकूलता’ के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था उचित वृद्धि स्तर हासिल करने में सफल रही है.

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