देशभर में सिंतबर में होने वाली JEE मेन और NEET UG परीक्षाओं का विरोध हो रहा है. कोरोना वायरस महामारी के कारण छात्रों में डर है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना चुका है. ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) के चेयरपर्सन प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे का कहना है कि “परीक्षा में बैठने वाले छात्रों की संख्या उन छात्रों से ज्यादा है, जिन्हें भड़काया जा रहा है.”
क्विंट ने प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे से बातचीत में जानना चाहा कि क्यों विरोध के बावजूद सरकार परीक्षाएं नहीं टाल रही है और परीक्षा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का कैसे पालन किया जाएगा?
JEE मेन और NEET को नहीं टालने के पीछे क्या कारण है?
परीक्षा को टालने से पहले ही सिस्टम पर 6 महीने का असर पड़ा है. एक बार फिर परीक्षा टाली गई तो पूरा एक साल बर्बाद हो जाएगा. ये जीरो ईयर हो जाएगा और वो पूरे देश के लिए बड़ी कीमत है. प्लीज याद रखिए कि ये सिर्फ JEE के बारे में नहीं है, JEE परीक्षा के रिजल्ट के कारण राज्यों में होने वाली काउंसिलिंग में भी देरी होगी. अगर ये नहीं होता है तो राज्यों में काउंसलिंग भी नहीं हो पाएगी.
अगर परीक्षाएं दिवाली तक स्थगित होती हैं, तो क्या एकैडमिक सेशन को जनवरी 2021 में शुरू किया जा सकता है?
आप एक संस्थान में दो बैच को एक साथ नहीं चला सकते, क्योंकि हॉस्टल की कमी है, क्लासरूम की कमी है. अगर आप ऑनलाइन की भी बात करें तो भी फर्स्ट ईयर में दो बैच होंगे. इस तरह की क्षमता लैब, वर्कशॉप या क्लासरूम में नहीं हैं.
परीक्षा हॉल में सोशल डिस्टेंसिंग लागू कर सकते हैं, लेकिन बाहर होने वाली भीड़ का क्या?
कई बार ऐसा होता है कि जब परीक्षा होती है तो उनके साथ पूरा परिवार आता है. IIT JEE के लिए पापा, मम्मी, भाई, बहन सब आते हैं. इन्हें तो कम से कम नहीं आना चाहिए. परीक्षार्थी भी दूर दूर खड़े होकर, थोड़ा जल्दी पहुंचकर अपनी जगह पर आकर बैठेंगे तो कोई संकट खड़ा नहीं होगा.
अगर किसी स्टूडेंट को कोरोना संक्रमण हो जाए, तो कौन जिम्मेदार होगा?
क्या पिछले चार महीने से लोग चौबीसों घंटे घर में बैठे हैं? बाजार में जाकर सामान खरीदते हैं, आते-जाते हैं, घूमते हैं. क्या तब संक्रमण का खतरा नहीं है? कोरोना से बचने के लिए सावधानी जरूरी है.
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