केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीबीएसई का फैसला बताया. बोर्ड की लंबित परिक्षाएं 1 जुलाई से 15 जुलाई के बीच आयोजित होने वाली थीं.
“जैसे ही हालात ठीक होंगे, हम उन छात्रों के लिए 12वीं कक्षा की परीक्षाएं आयोजित करा सकते हैं, जो इसका विकल्प चुनेंगे.”तुषार मेहता, सॉलिसिटर जनरल
सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में ये भी बताया कि दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिलनाडु ने परीक्षा आयोजित करने में असमर्थता जताई है.
ICSE ने भी रद्द की परीक्षाएं
CBSE के अलावा ICSE बोर्ड ने भी 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं रद्द करने का फैसला लिया है. CBSE की तरह, ICSE में छात्रों को बाद में परीक्षा देने का विकल्प नहीं दिया जाएगा.
अभिभावकों की परीक्षा रद्द करने की मांग
इस साल CBSE 12वीं की परीक्षाओं में बैठने वाले एक छात्र के पेरेंट्स द्वारा दायर याचिका में मांग की थी कि CBSE की बची हुई परीक्षाओं को रद्द कर दिया जाए और छात्रों को लंबित परीक्षाओं के इंटरनल एसेसमेंट के आधार पर मार्क किया जाए.
याचिका में कहा गया है कि जुलाई में परीक्षाएं आयोजित होने से हजारों छात्रों की जान खतरे में पड़ सकती है, क्योंकि उस दौरान कोरोना वायरस के मामले पीक पर होने की संभावना है.
इसके अलावा, याचिका में कहा गया है कि क्योंकि ऐसा हो सकता है कि बड़ी संख्या में संक्रमित छात्रों में लक्ष्ण नहीं दिखे, छात्र वायरस के कैरियर बन सकते हैं, और इस तरह दूसरे छात्रों को संक्रमित करते हैं, और अपने परिवार को भी. याचिका में CBSE पर भेदभाव का भी आरोप लगाया गया है.
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