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क्यों नर्सरी एडमिशन 2021 पर रोक लगा सकती है दिल्ली सरकार?

एक अधिकारी ने क्विंट को बताया कि 2022 में सीधा KG में दाखिला लेने से बच्चे की ग्रोथ पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

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कोरोना महरमारी के कारण पिछले कई महीनों से स्कूल और कॉलेज बंद पड़े हैं. कई राज्यों में 9वीं कक्षा से ऊपर के बच्चों के लिए पूरी गाइडलाइंस के साथ स्कूल खोले भी गए, लेकिन इससे नीची कक्षा के बच्चों को अभी स्कूल नहीं बुलाया जा रहा है. इसी बीच, क्विंट को मालूम चला है कि दिल्ली सरकार 2021 में नर्सरी एडमिशन प्रक्रिया को अनुमति नहीं देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.

इस मामले पर चल रही चर्चाओं से परिचित एक अधिकारी ने क्विंट को बताया कि सरकार नर्सरी एडमिशन 2021 के दाखिले पर रोक लगा सकती हैं. इसकी जगह सरकार साल 2022-2023 में नर्सरी और किंडरगार्टन (KG) एडमिशन में दो बैच एक साथ शुरू कर सकती है- एक नर्सरी में और एक किंडरगार्टन में.

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“हम इसपर चर्चा कर रहे हैं कि क्या 2021 में नर्सरी एडमिशन को रोका जा सकता है. अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो इस साल नर्सरी में दाखिला लेने वाले बच्चे, सीधा केजी में दाखिला लेगें, जहां वैकेंसी होगी.”
दिल्ली सरकार के अधिकारी ने बताया

क्या 2022 में एडमिशन लेना होगा कठिन?

जब हमने सवाल किया कि क्या अगले साल एडमिशन में ज्यादा आवेदन देखने को मिलेंगे, तो अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर 90% बच्चे पहले नर्सरी में दाखिला लेते हैं, उसके बाद किंडरगार्टन में प्रमोट किए जाते हैं.

अगर 2021 में नर्सरी एडमिशन नहीं हुए, तो 2022 में नर्सरी और केजी दोनों में वैकेंसी रहेगी, क्योंकि केजी में प्रमोट करने के लिए नर्सरी में बच्चे ही नहीं होंगे.

अधिकारी ने कहा कि नर्सरी और केजी में ज्यादा फर्क नहीं है, और 2022 में सीधा केजी में दाखिला लेने से बच्चे की भविष्य में ग्रोथ पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

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इस प्रस्ताव के पीछे क्या है वजह?

अधिकारी ने बताया कि नर्सरी के जिन छात्रों ने 2020 में प्रवेश लिया था, उनकी शिक्षा पूरी तरह से ऑनलाइन मोड में ही हुई है. उन्होंने कहा, “नर्सरी क्लास बच्चों के जीवन में नींव रखने जैसी होती हैं, ताकि बच्चे एक दूसरे से बात करें और सीखें.”

“पेरेंट्स अपने बच्चों को भेजने में सहज नहीं होंगे, जब तक उन्हें वैक्सीन नहीं लग जाती. अगर स्कूल तब तक नहीं खुलते हैं, तो छात्रों को दाखिला देने से कोई मतलब नहीं है? जो छात्र 2019 में नर्सरी में दाखिल हुए थे, उन्होंने स्कूल की शक्ल तक नहीं देखी है.”
दिल्ली सरकार के अधिकारी
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बता दें कि हर साल नवंबर तक नर्सरी दाखिले की गाइडलाइन शिक्षा निदेशालय दिल्ली की ओर से दी जाती हैं, जिसके आधार पर दिसंबर से स्कूलों में आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं. लेकिन कोरोना के कारण दिसंबर के आखिरी सप्ताह तक निदेशालय ने दाखिला को लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए और अब पूरी दाखिला प्रक्रिया संकट में फंसी हुई है.

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि जुलाई से पहले दिल्ली में स्कूलों को खोले जाने की संभावना अभी बहुत कम है. उन्होंने कहा, “भले ही फरवरी तक दिल्ली सरकार लोगों को वैक्सीन देना शुरू कर दे, हम जुलाई तक कई लोगों को वैक्सीन दे पाएंगे. उससे पहले स्कूल खोलने की संभावना नहीं है. हमें ये भी देखना होगा कि शिक्षकों और छात्रों को बिना रिस्क में डाले कैसे परीक्षाएं आयोजित कराएं.”

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पेरेंट्स और स्कूल का इस पर क्या कहना है?

दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की हेड, अपराजिता गौतम का कहना है कि सरकार को इस साल नर्सरी दाखिले की प्राकक्रिया के साथ आगे बढ़ना चाहिए और स्कूलों को मिनिमम एडमिशन फीस, जो कि करीब 750 रुपये है, चार्ज करने चाहिए. उन्होंने कहा कि भले स्कूल ट्यूशन फीस न ले और क्लास कंडक्ट न हों, लेकिन माता-पिता को कम से कम ये जानकर राहत महसूस हो कि उनके बचे की सीट पक्की है.

दिल्ली में कई स्कूलों के प्रिंसिपल ने कहा कि सरकार का यह फैसला, मां-बाप और स्कूल दोनों के लिए बहुत मुश्किल भरा हो सकता है क्योंकि इसके बाद उन्हें अपने स्कूल की सीट के स्ट्रक्चर को फिर से बनना पड़ेगा और अगर कोरोना की समस्या जुलाई तक खत्म हो गई, तो बच्चों का साल भी खराब हो सकता है.

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