दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के प्रतिष्ठित कॉलेज मिरांडा हाउस की थर्ड ईयर की स्टूडेंट ने आरोप लगाते हुए कहा कि "मुझे और मेरे दोस्त को जबरन जकड़ा गया, कोहनी से छाती पर टक्कर मारी गई और कमर के निचले हिस्से पर गलत तरीके से छुआ गया. अन्य लड़कियों को भी गलत तरीके से जबरन जकड़ा गया."
वह स्टूडेंट क्विंट से 14 अक्टूबर की दोपहर के बारे में बात कर रही थीं जब मिरांडा हाउस कॉलेज कैंपस में दिवाली फेस्ट का आयोजन किया जा रहा था और जिस मेले में जाने के लिए दीवार फांदते हुए युवकों का कथित वीडियो सामने आया था.
वीडियो पोस्ट किए जाने के तुरंत बाद, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के आरोप भी ऑनलाइन सामने आए.
दिल्ली पुलिस ने महिलाओं की इज्जत को भंग करने और अवैध तरीके से कैंपस में घुसने से संबंधित धाराओं के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
क्विंट को डीसीपी (नॉर्थ) सागर सिंह कलसी ने बताया कि "हमने वीडियो और ट्वीट का संज्ञान लेते हुए एक FIR दर्ज की है. घटना वाले दिन हमें कोई पीसीआर कॉल नहीं मिली और न ही हमें किसी कॉलेज अथॉरिटी या स्टूडेंट्स की तरफ से कोई लिखित शिकायत मिली थी."
मिरांडा हाउस की प्रिंसिपल प्रोफेसर बिजयलक्ष्मी नंदा ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि अब तक, "सेक्सुअल हरासमेंट यानी यौन उत्पीड़न की कोई शिकायत नहीं मिली है."
उन्होंने बताया कि "पुलिस को सूचित कर दिया गया है और वे सभी सीसीटीवी फुटेज की जांच-पड़ताल कर रहे हैं." हालांकि स्टूडेंट ने क्विंट को बताया कि "उस दिन कैंपस में क्या हुआ था इसके बारे में हमने कॉलेज के अधिकारियों को इंफाॅर्म कर दिया था."
20 वर्षीय सुप्रिया मिरांडा हाउस की स्टूडेंट हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मैंने सुना था कि युवकों का एक झुंड भद्दे और गंदे नारा लगा रहा था. जिसमें एक नारा यह था "रामजस का नारा है, मिरांडा हमारा है."
रामजस नॉर्थ कैंपस स्थित एक को-एड कॉलेज है, जो मिरांडा हाउस (पूर्णतः लड़कियों का कॉलेज) से कुछ ही मिनटों की दूरी पर है.
उस दिन जो कुछ भी हुआ उसके बारे में क्विंट ने कई स्टूडेंट्स से बात की है.
इसके अलावा मिरांडा हाउस और दिल्ली यूनिवर्सिटी के केवल महिलाओं वाले अन्य संस्थान जैसे गार्गी कॉलेज, लेडी श्री राम कॉलेज (एलएसआर), और इंद्रप्रस्थ कॉलेज फॉर वीमेन की पूर्व स्टूडेंट्स भी कैंपस की सेफ्टी पर अपनी बात रखती हैं.
मिरांडा हाउस दिवाली मेले में क्या हुआ था?
क्विंट को सुप्रिया ने बताया कि शुक्रवार (14 अक्टूबर) को सुबह 10.30 बजे दिवाली मेले में प्रवेश शुरू हुआ. "सुबह 11 बजे तक कैंपस लगभग भर चुका था, इस मेले में डीयू का कोई भी स्टूडेंट डीयू कॉलेज के वैलिड आईडी कार्ड के साथ आ सकता था."
सुप्रिया ने दावा करते हुए कहा कि मेला कैंपस के कुछ हिस्सों में ही आयोजित किया जाना था, लेकिन "लोगों ने बिना अनुमति के जबरन कक्षाओं और छात्रावासों में प्रवेश किया."
मिरांडा हाउस की वूमेन्स डेवलपमेंट सेल (डब्ल्यूडीसी) ने भी कहा कि "फेस्ट के लिए मौजूद लोगों में से कई, मुख्य रूप से पुरुष पूरी तरह से आउट ऑफ कंट्रोल हो गए थे." इसके बाद "जब यह स्पष्ट हो गया कि कॉलेज में इससे अधिक लोग नहीं हो सकते हैं तब बाहर निकलने का आदेश दिया गया था."
अपने बयान में डब्ल्यूडीसी ने दावा करते हुए कहा कि "उन्होंने (वहां उपस्थित लोग, मुख्य रूप से पुरुष) कक्षाओं जैसे प्रतिबंधित परिसर में प्रवेश किया, प्रोफेसरों और कर्मचारियों के अनुरोधों की अनदेखी की. इसके अलावा जब उनसे स्टूडेंट्स से ठीक व्यवहार करने और उनके निजी स्पेस में जबरन एंट्री न करने की अपील की गई तब उन्होंने बड़े ही अशिष्टता के साथ जवाब दिया."
सुप्रिया ने आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी कुछ सहेलियों ने उन्हें बताया कि उन्होंने "उन लड़कों को देखा जिन्हें ब्रा मिली थी और वे इवेंट वाली जगह के आसपास इसे दिखा रहे थे..... वे लड़कियों को ऑब्जेक्टिफाई कर रहे थे."
थर्ड ईयर की स्टूडेंट जिसने यह आरोप लगाया था कि उसे और उसकी सहेली को जबरन छुआ गया था. उसने क्विंट को बताया कि "मेला बंद होने के बाद, हमारे प्रोफेसरों ने हमें कॉलेज खाली करने में मदद करने के लिए कहा. जब हमने विनम्रता से बाहरी लोगों को कॉलेज से बाहर जाने के लिए कहा, तब हम पर भद्दे कमेंट किए गए."
क्विंट को एक अन्य स्टूडेंट शोभना ने बताया कि उस दिन (शुक्रवार 14 अक्टूबर को) छात्राएं कितनी असुरक्षित महसूस करती थीं. शोभना ने ही मिरांडा हाउस की दीवारों को फांदते हुए पुरुषों के दो वीडियो ट्वीट किए थे.
शोभना ने आरोप लगाते हुए कहा कि "उस दिन भारी भीड़ जुट गई थी, मुख्य रूप से पुरुषों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी. मेरी क्लास की सहेलियों ने दावा किया है कि उन्हें हरासमेंट का सामना करना पड़ा, उन पर फब्तियां कसी गईं, अभद्र तरीके से कमेंट किया गया, उन्हें अनुचित तरीके से छुआ गया, दबोचा गया और उनकी साड़ियों को खींचा गया."
इसके बाद सोमवार को दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने इस घटना के संबंध में एक बयान जारी करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस भेजा.
दिल्ली पुलिस को भेजे गए अपने नोटिस में आयोग ने कहा "इस मामले में गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों की डिटेल्स प्रदान करें. यदि कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, तो कृपया गिरफ्तारी के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी प्रदान करें."
सुप्रिया आगे बताती हैं कि,
"इस साल की शुरुआत में जब हमने बिलकिस बानो के साथ एकजुटता दिखाने के लिए एक छोटा, किंतु शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया था तब हमारे कैंपस में लगभग 50 पुलिस कांस्टेबल और 20 महिला कांस्टेबल तैनात थीं, लेकिन दिवाली मेला के दौरान पर्याप्त सुरक्षा नहीं थी. ऐसा क्यों था?"
'खुद को मानसिक रूप से तैयार करें कि फेस्ट सुरक्षित नहीं हैं'
कई स्टूडेंट्स ने दावा करते हुए कहा है कि यह अकेली ऐसी घटना नहीं है. ऐसे घटनाएं और भी हैं.
2013 में मिरांडा हाउस से ग्रेजुएट होने वाली चितवन गोदारा ने एनुअल फेस्ट (वार्षिकोत्सव) के दौरान हुई घटना को याद करते हुए कहा :
"2012 में जब हमारा फेस्ट हुआ था तब मुझे भीड़ को मैनेज करने की जिम्मेदारी दी गई थी. उस समय बिना पास वालों की बड़ी भीड़ गेट पर जुट गई. जब हमने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया तब भीड़ उत्तेजित हो गई और हंगामा करने लगी. ऐसे में प्रिंसिपल ने मुझे कुछ पास देने के लिए कहा ताकि वे हंगामा न करें. मैंने ऐसा ही किया. कुछ ही देर बाद मेरे वॉकी-टॉकी पर कॉल आया और मुझे बताया गया कि किसी ने स्टेज पर चढ़कर अपनी पैंट उतार दी है. आखिरकार हमें बास्केटबॉल कोर्ट के सामने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर एक मानव श्रृंखला बनानी पड़ी, ताकि लड़के हमारे हॉस्टल में प्रवेश न करें, छिप न जाएं और बाद में हम पर हमला न करें."
गोदारा ने एक और फेस्ट के दौरान इसी तरह के मंजर को याद किया, जहां भारी भीड़ ने कैंपस की सेफ्टी को खतरे में डाल दिया था. गोदारा कहती हैं कि "यह चिंताजनक और भयावह है कि दस वर्षों में भी स्थिति नहीं बदली है."
फारिया हिलली ने इस साल की शुरुआत में फिलॉसफी में ग्रेजुएशन किया है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मिरांडा हाउस में कुछ महीने पहले इसी तरह की घटना हुई थी.
21 वर्षीय इस स्टूडेंट ने दावा करते हुए कहा कि "इस साल की शुरुआत में सोशियोलॉजी डिपार्टमेंट द्वारा एक फेस्ट का आयोजन किया गया था, यह महामारी के बाद कक्षाएं फिर से शुरू होने के बाद से पहला फेस्ट था. इस फेस्ट में भी पुरुषों ने अंदर जाने की कोशिश की थी, उनके द्वारा धक्का-मुक्की की जा रही थी, वे छू रहे थे और कम्युनल नारे लगा रहे थे."
उन्होंने कहा कि दिन के मध्य में ही प्रिंसिपल द्वारा फेस्ट को रद्द करना पड़ा. मिरांडा हाउस के डब्ल्यूडीसी के अनुसार, 14 अक्टूबर को "कक्षाएं रद्द कर दी गईं और स्टूडेंट्स को परेशानी में छोड़ दिया गया."
हिलली बताती हैं कि "आस-पास के कॉलेजों के पुरुषों में यह धारणा बढ़ रही है कि 'चलो लड़कियों को ताड़ने के लिए मिरांडा चलते हैं' ... हम मानसिक रूप से फेस्ट के लिए तैयार हैं. हम जानते थे कि फेस्ट के दिन हमारा कैंपस सुरक्षित नहीं है."
यहां पर इस बात का उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि पिछले छह वर्षों से शिक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के अनुसार मिरांडा हाउस को देश में नंबर एक कॉलेज के रूप में स्थान दिया गया है.
जहां हिलली ने 2022 की घटनाओं को याद किया वहीं मिरांडा हाउस से 2006 में ग्रेजुएशन करनी वाली इंग्लिश लिट्रेचर की पूर्व स्टूडेंट अनुश्री मजूमदार ने पुरानी घटनाओं को याद करते हुए बताया कि कैसे "फेस्ट के दौरान लड़कियां या तो आसपास नहीं होतीं या केवल समूहों में घूमती रहती थीं. यह अनकहा नियम था और यह इस देश के किसी भी महिला कॉलेज के लिए सच्चाई है."
अनुश्री ने क्विंट को बताया कि "टेम्पेस्ट हमारा एनुअल फेस्ट है. इस फेस्ट के दौरान मैं एक कोरियोग्राफी इवेंट में हिस्सा ले रही थी, जो सभी के लिए खुला था. डांसिंग इवेंट फेस्ट का सबसे ज्यादा लोकप्रिय इवेंट था, इसमें सबसे ज्यादा लोग शरीक हुए थे. इस इवेंट के दौरान एक वूमेंस कॉलेज के द्वारा कोरियोग्राफ किए गए डांस में रेप को काफी संवेदनशील तरीके से दर्शाया गया था. मुझे याद है कि उस डांस की प्रस्तुति के दौरान लोग हूटिंग कर रहे थे और सीटी बजा रहे थे."
'यह बदतर हो गया है'
पिछले वीकेंड जैसे ही मिरांडा हाउस के वीडियो वायरल हुए वैसे ही पूर्व स्टूडेंट्स ने इस स्थिति पर दुख / शोक व्यक्त करने के लिए व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, ट्विटर और फेसबुक ग्रुप्स का सहारा लिया.
मिरांडा हाउस की 1995 की छात्रा अजैलिउ नुमाई, जो अब हैदराबाद विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र की प्रोफेसर हैं, उन्होंने क्विंट को बताया कि जब उन्होंने वीडियो देखा तब वह सदमे में आ गईं थीं.
वे कहती हैं कि "मैं पूरे दिन बहुत परेशान थी... मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आधुनिक दुनिया में आज के समय यह कैसे हो रहा है. हालांकि पुरुषों के महिलाओं के पास आने की घटनाएं होती थीं, लेकिन यह कभी भी गंदा या अश्लील नहीं था. मुझे याद है कि हमारे यहां हॉस्टल में रातें को लड़कियां अपने दोस्तों को बुलाती थीं, लड़कियां और लड़के दोनों रात 11 बजे तक साथ रहते-घूमते थे... लेकिन हाल ही में जो कुछ हो रहा है वह कल्पना से परे है."
प्रोफेसर अजेलियू ने कहा कि उन्हें "उस समय भद्दे कमेंट का सामना इसलिए करना पड़ा क्योंकि वह नॉर्थईस्ट (पूर्वोत्तर) से हैं.... लेकिन इस तरह की गुंडागर्दी पहले नहीं थी."
मिरांडा हाउस से 2006 में ग्रेजुएट होने वाली अंकिता आनंद छात्र संघ की अध्यक्ष थीं. उन्होंने कॉलेज के उस वार्षिकोत्सव के बारे में बताया जो उन्होंने आयोजित किया था.
अंकिता आनंद ने क्विंट को बताया "मैंने जब इन वीडियो को देखा, तब मुझे 2005-2006 में एनुअल फेस्ट की याद आ गई... मुझे याद है कि सिक्योरिटी एक बड़ी चीज थी जिसको फिगर आउट करने में हमने काफी समय लगाया था. हमें इस बात का पता था कि जब भी कोई फेस्ट होता है तो बाहर के लोग (मुख्य रूप से लड़के) गेट के चारों ओर मंडराते हैं और अंदर आते हैं. हमारे पास कई सारे वॉलेंटियर थे जो गेट के आसपास के क्षेत्रों में पेट्रोलिंग करते थे और मैं फेस्ट के दौरान अलग-अलग जगह जाकर देखती रहती थी लेकिन हर दिन कैंपस में जबरन घुसने की घटनाएं देखने को मिलती ही थीं. मुझे ऐसे भी कॉल आते थे कि मैं फलां-फलां का प्रेसीडेंट हूं, कृपया मुझे कॉलेज में रहने दें."
वे आगे कहती हैं कि लेकिन शुक्रवार को जो कुछ हुआ "उस घटना का मतलब है कि चीजें काफी बदतर हो गई हैं."
इसी बीच मिरांडा हाउस से 2007 में ग्रेजुएट होने वाली मधुरा दासगुप्ता ने "वेलेंटाइन डे पर कैटकॉलिंग (सार्वजनिक तौर पर भद्दे संबोधन और कमेंट)" के उदाहरणों को याद किया, लेकिन इसके बावजूद वह अभी भी "कैंपस में और उसके आसपास कमोबेश सुरक्षित टहलना" महसूस करती हैं.
सभी गर्ल्स कॉलेज की समस्या
इस तरह की घटनाएं पहले भी अन्य गर्ल्स कॉलेज में देखने को मिली हैं. जो इस बात को दर्शाताी हैं कि शनिवार की घटना कोई इकलौती घटना नहीं थी, यह एक गहरी समस्या की ओर इशारा करती है.
फरवरी 2020 में गार्गी कॉलेज के एनुअल कॉलेज फेस्ट 'रेवेरी' के दौरान अज्ञात पुरुषों ने कथित तौर पर कई लड़कियों से छेड़छाड़ की और उनके साथ दुर्व्यवहार किया. इस मामले में पुलिस ने 17 लोगों को गिरफ्तार किया जिन्हें बाद में जमानत दे दी गई.
नीतू चौधरी, गार्गी कॉलेज की सेकेंड ईयर की स्टूडेंट हैं. उनका कहना है कि उनके सीनियर्स ने उस घटना के बारे में उन्हें बहुत कुछ बताया है.
उन्होंने आरोप लगाया- "जाहिर तौर पर मैं वहां नहीं थी, लेकिन अपने सीनियर्स से मैंने सुना है कि उस फेस्ट में कई सारे लड़के आए थे. उन्होंने गलत तरीके से लड़कियों को छुआ और उन्होंने कंडोम भी फेंके थे. इन चीजों को लेकर कोई भी बातचीत नहीं करना चाहता है... लेकिन हम लगातार भय में हैं."
लेडी श्री राम कॉलेज (एलएसआर) में 2018 के होली सेलिब्रेशन के दौरान एक भयानक घटना हुई थी, जो इंटरनेट में खूब चली थी. इस घटना के संबंध में महिलाओं ने आरोप लगाते हुए कहा था कि उन पर सीमन (वीर्य) से भरे गुब्बारे फेंके गए थे.
रिया चोपड़ा एलएसआर की एक पूर्व छात्रा हैं. उन्होंने क्विंट को बताया कि "छोटी-छोटी इवेंट्स और यहां तक कि सामान्य दिनों में भी, रैंडम लड़के हमारे स्पेस में जबरन आने के लिए और बिना किसी वजह के कॉलेज के बाहर फटकते रहते हैं."
मजूमदार के मुताबिक, इसकी वजह यह है कि "जब पुरुष बाहर होते हैं तब उनके लिए महिलाओं के स्थान बहुत रहस्यमयी होते हैं."
उन्होंने विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा,
"चूंकि हमारा संस्थान एक महिला कॉलेज है इसलिए चारों तरफ अक्सर यह चर्चा रहती है कि मिरांडा में क्या हो रहा है, कॉलेज को लेकर बहुत सारी यौन (सेक्सुलाइज्ड) अफवाहें हैं और यहां क्या होता है इसके बारे में बहुत अधिक कल्पनाएं की जाती हैं. हमें यह काफी हास्यास्पद लगा क्योंकि यह एक बेहद स्ट्रिक्ट कॉलेज है. यह उसी तरह का रहस्य है जो अन्य महिला संस्थानों को भी घेर कर रखे हुए है"
मजूमदार पूछती हैं- "मेरा सवाल यह कि इन संस्थानों के अधिकारी इस तरह की घटना का अनुमान कैसे नहीं लगाते हैं?"
इस बीच, डीयू के इंद्रप्रस्थ कॉलेज ऑफ वूमेन्स में अब दिवाली मेला "केवल महिलाओं के लिए खुला है."
काॅलेज की सेकंड ईयर की स्टूडेंट शांभवी चौधरी ने क्विंट को बताया कि "कुछ दिन पहले, कॉलेज में एक आर्ट एग्जीबिशन का आयोजन किया गया था. भले ही भीड़ बहुत कम थी, लेकिन फिर भी पुरुष सार्वजनिक तौर पर गलत कमेंट कर रहे थे."
स्टूडेंट ने दावा किया कि यह जो हुआ और मिरांडा में जो कुछ देखने को मिला उसकी वजह से "हमारे प्रिंसिपल ने घोषणा करते हुए कहा था कि हमारा दिवाली मेला केवल महिलाओं के लिए खुला रहेगा."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)