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गांधी, गोडसे और RSS: NCERT की किताबों में क्या हटाया और बदला गया?

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि NCERT की तीन टेक्स्ट बुक्स से कुछ पैराग्राफ हटा दिए गए हैं.

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इतिहास हमेशा विजेताओं ने लिखा है,” एक ऐसा मुहावरा है जिसे हम सभी ने सुना या पढ़ा है, लेकिन इसे अपनी आंखों के सामने घटता देखने को कभी-कभार ही मिलता है.

द इंडियन एक्सप्रेस में 5 अप्रैल को छपी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि NCERT की ताजा-ताजा बाजार में आई सामाजिक विज्ञान की तीन किताबों से महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi), उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) और आरएसएस (RSS) से जुड़े कुछ पैराग्राफ को हटा दिया गया है. तो फिर साल 2022 में छात्रों को क्या पढ़ाया जा रहा था, जो 2023 में नहीं पढ़ाया जाएगा?

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यह भी ध्यान देने वाली बात है कि NCERT के सभी विषयों के लिए “सुव्यवस्थित सामग्री की लिस्ट” जारी करने के करीब एक साल बाद यह कदम उठाया गया है. लेकिन इस लिस्ट में ताजा प्रकाशित किताबों में हटाई गई सामग्री का जिक्र नहीं था.

तो, साल 2022 में स्टूडेंट्स को क्या पढ़ाया जा रहा था जो 2023 में नहीं पढ़ाया जाएगा?

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कक्षा 12, राजनीति विज्ञान: RSS पर पाबंदी वाला हिस्सा हटाया गया

12वीं कक्षा के लिए भारत में आजादी के बाद की राजनीति किताब के पेज 12 पर नजर डालें. साल 2022 तक, सबहेडिंग ‘महात्मा गांधी के बलिदान’ के साथ पेज का अंतिम पैराग्राफ पढ़ें,

“गांधीजी की मौत का देश में सांप्रदायिक स्थिति पर तकरीबन जादुई असर पड़ा. विभाजन से जुड़ा गुस्सा और हिंसा अचानक कम हो गई. भारत सरकार ने सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले संगठनों पर कड़ी कार्रवाई की. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए पाबंदी लगा दी गई. सांप्रदायिक राजनीति का आकर्षण खत्म होने लगा था.”
पेज 12, भारत में स्वतंत्रता के बाद की राजनीति (2022 तक)

लेकिन अब, किताब के 2023 संस्करण में पेज 12 या किताब के किसी दूसरे पन्ने पर यह पैराग्राफ या सरदार पटेल द्वारा 1948 में आरएसएस पर लगाई पाबंदी का कहीं जिक्र नहीं है.

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इसी तरह 2022 संस्करण में पेज 12 के तीसरे पैराग्राफ में लिखा है,

“उनको (गांधी को इंगित करते हुए) खासतौर से उन लोगों द्वारा नापसंद किया गया था, जो चाहते थे कि हिंदू बदला लें या जो चाहते थे कि भारत हिंदुओं के लिए एक देश बने, जैसा पाकिस्तान मुसलमानों के लिए था. उन्होंने गांधीजी पर मुसलमानों और पाकिस्तान के हित में काम करने का आरोप लगाया. गांधीजी ने सोचा कि ये लोग गुमराह हो गए हैं. उन्हें यकीन था कि भारत को केवल हिंदुओं के लिए एक देश बनाने की कोई भी कोशिश भारत को खत्म कर देगी. हिंदू-मुस्लिम एकता की उनकी जोरदार कोशिशों ने हिंदू चरमपंथियों को इतना उकसाया कि उन्होंने गांधीजी की हत्या के लिए कई प्रयास किए.”
पेज 12, स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति (2022 तक)

इन लाइनों को 2023 संस्करण में हटा दिया गया है और इसकी जगह कुछ भी नहीं लिखा है.

पेज का तीसरा पैराग्राफ अब सिर्फ इतना बताता है कि किस तरह “दोनों समुदायों के चरमपंथियों ने अपने हालात के लिए उन्हें जिम्मेदार माना” और किस तरह “एक ऐसे ही ऐसे चरमपंथी नाथूराम विनायक गोडसे...” ने 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या कर दी.

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कक्षा 12, इतिहास: गोडसे की ब्राह्मण पहचान हटाई गई

गोडसे के बारे में बात करने वाले NCERT की कक्षा 12 की इतिहास की किताब के भारतीय इतिहास भाग III के पेज नंबर 366 पर नजर डालें. साल 2022 तक स्टूडेंट्स को गोडसे के बारे में ये पैराग्राफ मिलेगा,

“30 जनवरी की शाम अपनी दैनिक प्रार्थना सभा में एक युवक ने गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. बाद में आत्मसमर्पण कर देने वाला हत्यारा पुणे का एक ब्राह्मण था, जिसका नाम नाथूराम गोडसे था. वह एक चरमपंथी हिंदुत्ववादी अखबार का संपादक था, जिसने ‘मुसलमानों का तुष्टीकरण’ करने के लिए गांधीजी की आलोचना की थी.”
पेज 366, भारतीय इतिहास भाग III (2022 तक)

और 2023 में स्टूडेंट्स क्या पढ़ेंगे? उसके ब्राह्मण होने या चरमपंथी हिंदू अखबार के संपादक होने के बारे में कुछ भी नहीं. 2023 का ताजा संस्करण सिर्फ इतना बताता है,

“30 जनवरी की शाम को अपनी दैनिक प्रार्थना सभा में एक युवक ने गांधीजी को गोली मार दी थी. बाद में आत्मसमर्पण करने वाला हत्यारा नाथूराम गोडसे था.”
पेज366, भारतीय इतिहास भाग III (2023)

बस, सिर्फ इतना ही.

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कक्षा 11, समाजशास्त्र: समुदायों का अलगाव और विद्वेष का पैरा हटाया गया

और अंत में, कक्षा 11 की समाजशास्त्र की किताब - अंडरस्टैंडिंग सोसायटी. साल 2022 तक, इस किताब के पेज 45 पर भारतीय शहरों में विद्वेष के बारे में बात की गई थी और इसमें एक हालिया उदाहरण, 2002 का गुजरात दंगा का शामिल था. पेज पर लिखा था,

“शहरों में लोग कहां और कैसे रहेंगे यह एक ऐसा सवाल है, जो सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान से भी तय होता है. दुनिया भर में शहरों में आवासीय क्षेत्रों को ज्यादातर वर्ग से तय किया जाता है, और कई बार नस्ल, जातीयता, धर्म और ऐसे दूसरे घटकों में भी इस तरह की पहचान का तनाव इन अलग पैटर्न का कारण बनता है और परिणाम भी. उदाहरण के लिए, भारत में धार्मिक समुदायों - आमतौर पर हिंदू और मुस्लिम - के बीच सांप्रदायिक तनाव का नतीजा मिली-जुली आबादी से एकल-समुदाय में बदलाव है. जब भी सांप्रदायिक हिंसा भड़कती है, यह उसे एक खास स्थानीय पैटर्न देता है, जो फिर से ‘ghettoisation’ (एकल समुदाय) की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है. ऐसा भारत के कई शहरों में हुआ है, सबसे हाल में गुजरात में 2002 के दंगों के बाद.”
पेज 43-45, अंडरस्टैंडिंग सोसायटी (2022 तक)
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इस पैराग्राफ को भी किताब के 2023 संस्करण से इसकी जगह बिना कुछ रखे हटा दिया गया है और इसके साथ ही NCERT की स्कूली किताबों में 2002 के गुजरात दंगों का एकमात्र बाकी बचा जिक्र खत्म कर दिया गया है.

NCERT की ताजा काट-छांट और पिछली घटनाओं को देखते हुए सिर्फ उम्मीद ही की जा सकती है कि स्कूल की किताबों में और भी अध्यायों को मिटाया, संपादित या नए सिरे से लिखा नहीं जाएगा.

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