राजनीतिक विरोधियों के हमलों और मजदूर संघों के दबाव के बाद केंद्र सरकार ने मंगलवार को भविष्य निधि निकालने के नए नियम को 31 जुलाई तक के लिए टाल दिया है.
केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि भविष्य निधि में योगदान की निकासी को सदस्यों के 58 वर्ष पूरे होने से पहले अनुमति नहीं देने के प्रस्ताव पर 31 जुलाई के बाद ही फैसला किया जाएगा.
पीएफ निकासी को रोकने वाली अधिसूचना को तीन महीने के लिए 31 जुलाई, 2016 तक ठंडे बस्ते में रखा जाएगा.केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने मंगलवार को कहा कि वह तब तक विरोध जारी रखेगा, जब तक कि पीएफ से निकासी पर सभी तरह की रोक नहीं हटा ली जाती है.
बेंगलुरू में हिंसक प्रदर्शन से टला फैसला
बेंगलुरू के कपड़ा कामगारों ने निकासी रोके जाने के विरोध में मंगलवार को हिंसक विरोध प्रदर्शन करते हुए एक थाने के आसपास खड़े करीब दर्जन भर वाहनों में आग लगा दी थी. जिसके बाद केंद्र सरकार को अपना फैसला 31 जुलाई तक के लिए टालना पड़ा.
सूत्रों के मुताबिक, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफ) में कर्मचारियों के योगदान से संबंधित सभी मुद्दों पर विचार करने के लिए ईपीएफ के केंद्रीय ट्रस्टी बोर्ड की एक बैठक आयोजित की जाएगी.
श्रम मंत्रालय ने पीएफ की सौ फीसदी निकासी पर लगा दी थी रोक
श्रम मंत्रालय ने फरवरी में एक अधिसूचना जारी कर दो महीने से अधिक बेरोजगार रहने वालों द्वारा भविष्य निधि की सौ फीसदी निकासी पर रोक लगा दी थी. विरोध के बाद इसके कार्यान्वयन पर 30 अप्रैल तक के लिए रोक लगा दी गई थी. विरोध जारी रहने के बाद सरकार ने इसे और आगे बढ़ा दिया है. ईपीएफओ ने भी कर्मचारियों के दो महीने से अधिक समय तक बेरोजगार रहने की स्थिति में उनके योगदान और उस पर मिले ब्याज की निकासी पर रोक लगा दी है.
क्या कहता है नया नियम
नए प्रस्तावित नियमों के मुताबिक, कर्मचारी 54 साल पूरे करने के बाद पीएफ निकासी का दावा नहीं कर सकते, उन्हें 57 वर्ष पूरे करने तक इंतजार करना होगा.
पहले के नियमों के मुताबिक, 54 वर्ष की अवस्था पूरी होने पर योगदानकर्ता या सदस्य निधि में जमा 90 फीसदी राशि निकाल सकते थे और आखिरी निकासी का निपटारा सेवानिवृत्ति से ठीक एक साल पहले किया जा सकता था.
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