सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2020 के प्रावधानों में संशोधन की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है. ऐसे में NGO को विदेशी फंडिंग के मामले में केंद्र सरकार को बड़ी राहत मिली है.
NGO द्वारा विदेशी चंदे धन की प्राप्ति और इस्तेमाल पर लगी नई शर्तें लागू रहेंगी. इसके अलावा नई शर्त के मुताबिक SBI खाते में ही विदेशी धन प्राप्त करना अनिवार्य रहेगा. संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है.
नोएल हार्पर और जीवन ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा दायर याचिकाओं में संशोधनों को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि संशोधन ने विदेशी धन के उपयोग में गैर सरकारी संगठनों पर कठोर और अत्यधिक प्रतिबंध लगाए हैं, जबकि विनय विनायक जोशी द्वारा दायर अन्य याचिका में FCRA की नई शर्तों का पालन करने के लिए MHA द्वारा गैर सरकारी संगठनों को दिए गए समय के विस्तार को चुनौती दी गई थी. पिछले साल नवंबर में जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था.
दरअसल, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि विदेशी योगदान अगर अनियंत्रित हुआ तो राष्ट्र की संप्रभुता के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं. विदेशी फंड को रेगुलेट करने की जरूरत है, नक्सली गतिविधि या देश को अस्थिर करने के लिए पैसा आ सकता है. IB के इनपुट भी होते हैं. विकास कार्यों के लिए आने वाले पैसे का इस्तेमाल नक्सलियों को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता है.
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विदेशी फंड प्राप्त करने वाले गैर सरकारी संगठनों द्वारा धन का दुरुपयोग नहीं किया जाए. फंड का उपयोग केवल उसी उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए जिसके लिए उन्हें प्राप्त किया गया है, अन्यथा FCRA (विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम) का उद्देश्य हल नहीं होगा.
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