केरल के हदिया लव जिहाद केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एनआईए लव जिहाद केस में अपनी जांच जारी रख सकती है. लेकिन एनआईए पुरुष और स्त्री की वैवाहिक स्थिति की जांच नहीं कर सकती है.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने टिप्पणी उस वक्त की है, जब एनआईए ने कोर्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस मामले में पर्याप्त जांच हुई है.
बेंच के जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा-
हमें इसे (जांच) लेकर कोई चिंता नहीं है. चाहे आप अपनी जांच जारी रखें या किसी को गिरफ्तार कर लें, हमें इसकी चिंता नहीं है. आप इस मामले की जांच कर सकते हैं. लेकिन आप उनकी वैवाहिक स्थिति के बारे में जांच नहीं कर सकते.
‘लड़का-लड़की कहते हैं शादी हुई है तो जांच नहीं’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कथित तौर पर लव जिहाद की पीड़िता और केरल की रहने वाली हदिया कोर्ट के सामने पेश हुई थी. उस दौरान हदिया ने खास तौर पर कहा था कि उसने खुद शफीं जहां से शादी की थी. हदिया ने कोर्ट में कहा था कि उसने शादी की है और वो पिता के पास नहीं जाना चाहती.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हदिया कोई बच्ची नहीं है, वह 24 साल की है. ऐसे में शादी सही है या नहीं ये कोई और नहीं बल्कि लड़की या लड़का ही कह सकता है. क्या कोर्ट ये सुनवाई कर सकता है कि इंसान अच्छा है या नहीं.
कोर्ट ने कहा कि वह हदिया के मामले में सिर्फ ये देख सकता है कि हाईकोर्ट ने शादी को शून्य करार दिया वो सही है या नहीं. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीफ 22 फरवरी तय की है.
क्या है केरल का हदिया केस
केरल की रहने वाली अखिला मुस्लिम धर्म अपनाकर हदिया बन गई थी. इसके बाद उसने मुस्लिम युवक शफीं जहां से निकाह कर लिया था, जिस पर उसके पिता ने कोर्ट में गुहार लगाई थी. केरल हाईकोर्ट ने इस शादी को रद्द कर दिया था. बाद में हदिया के पति शफीं ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
बीती 27 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने धर्म परिवर्तन कर निकाह करने वाली हदिया उर्फ अखिला को पढ़ाई पूरी करने के लिए कॉलेज वापस भेज दिया था. हदिया ने कोर्ट में कहा था कि वह अपने पति शफीं जहां के साथ रहना चाहती है.
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