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क्या है 'गोरखधंधा' शब्द का मतलब, जिस पर हरियाणा सरकार ने लगाया बैन

Haryana gov bans 'gorkhadhandha': हरियाणा सरकार ने 'गोरखधंधा' शब्द पर रोक लगा दी, इसका मतलब? कहाँ से आया यह शब्द

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बुधवार को हरियाणा सरकार (Haryana Govt) ने जानकारी दी कि उसने 'गोरखधंधा' शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है, जो आमतौर पर अनैतिक प्रथाओं के संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है. आधिकारिक बयान के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने गोरखनाथ समुदाय की भावनाओं के मद्देनजर ऐसा निर्णय लिया है.

कहां से आया शब्द 'गोरखधंधा'

जैनेंद्र कुमार की किताब 'निबंधों की दुनिया' और ओशो की लिखी किताबों 'मन मधुकर खेलत वसंत' और 'जो है सो है' में 'गोरखधंधा' शब्द का उल्लेख है. जिसमें लेखक इस शब्द का अर्थ बताते हुए कहते हैं, चूंकि गुरु गोरखनाथ ने साधना की इतनी विधियां खोज ली और सत्य को तलाशने की इतनी व्यवस्थायें बताई कि साधक भ्रम में पड़े रहते कि यह करें कि वह करें. इसलिए ऐसी अबूझ और जटिल स्थिति को 'गोरखधंधा' कहा जाने लगा.

एक वजह और रही, गोरखनाथ सम्प्रदाय के साधु एक क्रिया करते हैं. जिसमें वे लोहे या लकड़ी की पतली छड़ियों से एक चक्रनुमा आकृति बनाते हैं. जिसमें किसी धागे या माला को सीधा-सीधा डालते हैं और मंत्र पढ़कर उसे ऊपर से निकाल देते हैं. इस क्रिया को 'धंधारी' कहते हैं. यह काम देखने में बेहद रहस्यमयी लगता है, इसलिए गोरख सम्प्रदाय के साधुओं की इस क्रिया को 'गोरखधंधा' भी कहते हैं.

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कव्वाली और भजनों में भी प्रयोग हुआ शब्द 'गोरखधंधा'

नुसरत फतेह अली खान की एक प्रसिद्ध कव्वाली है जिसका मुखड़ा है "तुम एक गोरखधंधा हो.."
इसी प्रकार एक भजन है "मैं क्या जानू राम तेरा गोरखधंधा" जिसमें भक्त भागवान की लीलाओं को समझ न पाने की वजह से उसे 'गोरखधंधा' कहता है.

प्रसिद्ध साहित्यकार मन्नन द्विवेदी गजपुरी ने 'गोरखधंधा' नाम से एक स्तंभ भी लिखा था.

समय के साथ अर्थ बदल गया

समय बीतने के साथ भ्रम में डालने वाले नकारात्मक कार्यों जैसे धोखाधड़ी, छल-कपट और गुप्त रूप से किये जाने वाले भ्रष्ट कार्यों के लिए भी 'गोरखधंधा' शब्द का प्रयोग होने लगा.

शब्दकोश में 'गोरखधंधा' शब्द का अर्थ

वर्धा हिंदी शब्दकोश के मुताबिक, गोरखधंधा शब्द का अर्थ- 'जल्दी न समझने वाली बात, पहेली, कोई जटिल कार्य जिसका निराकरण सहज न हो, अनियमितता या घपला' होता है.

गोरखनाथ समुदाय की भावनाओं के मद्देनजर लिया गया निर्णय

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बयान के मुताबिक


"गुरु गोरखनाथ एक संत थे और किसी राजभाषा, भाषण या किसी भी संदर्भ में इस शब्द का उपयोग उनके अनुयायियों की भावना को आहत करता है. इसलिए किसी भी संदर्भ में इसके उपयोग पर पूरी तरह बैन लगा दिया गया है."

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