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Hathras: पुरुषों को नसबंदी से क्यों डर? परिवार नियोजन की जिम्मेदारी महिलाओं पर

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक UP में साल 2021- 22 में 297142 महिलाओं और 2906 पुरुषों ने नसबंदी कराई.

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न्यूज
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Hathras में सरकार पुरुषों को नसबंदी के लिए जागरूक करने के लिए प्रचार प्रसार के अलग-अलग माध्यमों से तमाम कोशिशें कर रही है. इसके बावजूद पुरुषों में नसबंदी के प्रति गहरा डर है. पुरुषों में कई प्रकार की भ्रांतियां हैं. जिससे अधिकतर पुरुष नसबंदी नहीं कराते हैं. यही कारण है कि नसबंदी का नाम आते ही पुरुष पीछे हट जाते हैं. मसलन परिवार नियोजन की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधे पर आ जाती है.

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नसबंदी से क्यों दूर भागते हैं पुरुष?

हाथरस के सीएमओ डा मंजीत सिंह का कहना है कि नसबंदी के लिए पुरुष आगे कम आते हैं. पुरुषों को थोड़ी भ्रांतियां हैं, जैसे हमारे दाम्पत्य जीवन पर प्रभाव पड़ जाएगा. पहले जैसी मर्दानगी नहीं रहेगी. हालांकि अब पुरुष भी आगे आने लग गए हैं. पुरुष अस्थाई साधनों का इस्तेमाल करने लगे हैं. खास तौर पर हाथरस जैसे छोटे जनपद में जहां कोई एनजीओ नहीं है. एनजीओ में पुरुष कार्यकर्ता होते हैं, जो आसानी से पुरुषों को नसबंदी के प्रति मोटिवेट कर सकते हैं.आशा महिला होने के चलते पुरुषों को मोटिवेट नहीं कर पाती हैं.

आशा कार्यकर्ता देवकी का कहना है कि लोगों में नसबंदी के प्रति बहुत अंधविश्वास है. खास तौर पर पुरुष अंधविश्वास के चलते नसबंदी नहीं कराते हैं. पुरुषों में भ्रांति है कि अगर नसबंदी करा लेंगे तो शारीरिक ताकत कम हो जायेगी,जिससे वो काम नहीं कर पाएंगे.

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पुरुष नसबंदी कराने को महिलाएं खुद कर देती हैं इंकार

आशा कार्यकर्ता शीला यादव का कहना है कि महिलाएं खुद अपने पति को नसबंदी कराने से मना कर देती हैं. हम लोग उन्हें समझाने की बहुत कोशिश करते हैं, लेकिन वो कहती हैं कि पुरुष भारी काम करते हैं. नसबंदी कराने के बाद शारीरिक कमजोरी आ जायेगी.उसके बाद पुरुष बाहर के काम काज नहीं कर पाएगा, इसलिए महिलाएं ही ज्यादा नसबंदी कराती हैं.

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महिलाओं की तुलना में पुरुष नसबंदी ज्यादा आसान और सुरक्षित

हाथरस में परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी और एसीएमओ डा संतोष कुमार का कहना है कि पुरुष नसबंदी की प्रक्रिया महिलाओं की तुलना में ज्यादा आसान और सुरक्षित होती है. पुरुषों की नसबंदी बिना चीरा बिना टांके के हो जाती है. हमारे विभाग में जो आशा कार्यकर्ता होती हैं वो महिलाएं होती हैं. इसलिए वो पुरुषों को नसबंदी के लिए मोटिवेट नहीं कर पाती हैं. वह महिलाओं को आसानी से मोटिवेट कर लेती हैं. इसी वजह से परिवार नियोजन में महिलाएं ज्यादा आगे आती हैं.

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आंकड़ों में नसबंदी 

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में साल 2021- 22 में 297142 महिलाओं और 2906 पुरुषों ने नसबंदी कराई. महिलाओं की तुलना में पुरुष नसबंदी का आंकड़ा प्रतिशत में सिर्फ 0.98 प्रतिशत है.

वहीं हाथरस जिले में साल 2020 - 21 में 2065 महिलाओं ने नसबंदी कराई, जबकि सिर्फ 12 पुरुषों ने ही नसबंदी कराई. महिलाओं की तुलना में पुरुष नसबंदी का यह अकड़ा प्रतिशतता में 0.58 प्रतिशत है.साल 2021 -22 में 2138 महिलाओं ने नसबंदी कराई, जबकि 12 पुरुषों ने नसबंदी कराई. महिलाओं की तुलना में पुरुष नसबंदी का यह आंकड़ा 0.56 प्रतिशत है. चालू वर्ष में हाथरस में अब तक 503 महिलाओं ने नसबंदी कराई है, जबकि 7 पुरुषों ने नसबंदी कराई है.
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गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक कर रही आशाएं

आशा कार्यकर्ता गांव गांव जाकर लोगों को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक कर रही हैं. इसके बावजूद पुरुषों में व्याप्त भ्रांतियां कम नहीं हो रही है.आशाओं का कहना है कि वह पुरुषों को खूब समझाती हैं, लेकिन फिर भी पुरुष आगे नहीं आते.

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