एचआईवी, एड्स पीड़ितों का अब मुफ्त में इलाज किया जाएगा. साथ ही उनसे किसी भी प्रकार का भेदभाव करना दंडनीय अपराध होगा. इसके लिए लोकसभा ने मंगलवार को ने एचआईवी और एड्स (इलाज और बचाव) बिल 2017 ध्वनिमत से पारित किया. बता दें कि इस बिल को राज्यसभा पहले ही मंजूरी दे चुकी है.
परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्री जे पी नड्डा ने लोकसभा में बताया कि एचआईवी एड्स के उपचार और रोकथाम की दिशा में देश ने काफी लंबा सफर तय किया. अब देश उस जगह पहुंच गया है जहां मरीजों को इसका मुफ्त इलाज मुहैया कराया जाएगा.
स्वास्थ्य मंत्री ने साथ ही साफ किया कि एचआईवी मरीजों को उपचार के लिए आधार नंबर जरुरी नहीं होगा और केवल एंटी रेट्रोवायरल सेंटर पंजीकरण कराना होगा. उन्होंने कहा-
एक समय ऐसा था जब ये कहा जा रहा था कि एड्स की महामारी से दुनिया खत्म हो जाएगी. लेकिन भारतीय फार्मास्युटिकल क्षेत्र ने सस्ती दवाएं मुहैया कराने में शानदार प्रगति की है और सब सहारा और अफ्रीकी देशों में भारतीय दवाएं एड्स मरीजों को जीवनदान दे रही हैं.
नड्डा ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए बताया कि भारत ने टीबी, एचआईवी और मलेरिया जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने में सफलता पाई है.
एचआईवी मामलों में 67 फीसदी की कमी आई है और ऐसे मामले 2.5 लाख से कम होकर 80 हजार पर आ गए हैं. एचआईवी से हुई मौतों में भी 54 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. जो दुनिया के औसत से ज्यादा है.
उन्होंने बताया कि पिछले साल सरकार ने एआरटी ड्रग्स के लिए दो हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया था जो अब तक सर्वाधिक है. एड्स की जांच के लिए केंद्र सरकार 22 हजार परीक्षण सुविधा केंद्र भी खोलेगी.
बिल की खास बातें:
- एचआईवी मरीजों को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जाएगा और इसका खर्च केंद्र सरकार उठाएगी
- अदालती कार्यवाही, इलाज के दौरान और सरकारी रिकार्ड में मरीजों के बारे में गोपनीयता बरती जाएगी और इस मामले में कोई भी जानकारी सार्वजनिक कराना अपराध माना जाएगा.
- इस विधेयक के जरिए एचआईवी एड्स पीडितों के संपत्ति अधिकारों, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के अधिकारों को संरक्षण मिलेगा.
- एचआईवी, एड्स पीड़ितों के साथ सामाजिक भेदभाव को दंडनीय अपराध का दर्जा दिया गया है.
- जिस दिन कोई व्यक्ति एचआईवी पॉजिटिव पाया जाएगा, उसी दिन से उसका इलाज शुरु कर दिया जाएगा.
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