भारत और चीन (India-China) के बीच सोमवार को 19वें दौर की सैन्य वार्ता हुई. पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर मौजूदा मुद्दों के समाधान पर कोई नई प्रगति नहीं हुई है, हालांकि दोनों पक्षों ने इन मुद्दों पर जल्द से जल्द समाधान निकालने पर सहमति जताई है.
बता दें कि दोनों देशों के बीच यह कमांडर स्तर की बैठक का 19वां दौर था, जो 13-14 अगस्त को भारतीय सीमा पर चुशुल-मोल्डो मीटिंग पॉइंट पर आयोजित हुआ था.
बैठक का फोकस किन विषयों पर था?
मंगलवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों के बीच पश्चिमी क्षेत्र में LAC पर शेष मुद्दों के समाधान पर सकारात्मक और लंबी चर्चा हुई. भारत और चीन सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत की गति को बनाए रखते हुए शेष मुद्दों को शीघ्रता से हल करने पर सहमत हुए हैं.
संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर शांति बनाए रखने पर भी सहमत हुए हैं.
बैठक का फोकस विश्वास बहाली, सीमा प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करना और झड़पों से बचने के लिए दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच गश्ती जानकारी साझा करने पर था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के सूत्रों ने बताया कि भारत ने बैठक में LAC पर पुरानी पेट्रोलिंग प्वाइंट्स तक पहुंच के साथ ही देपसांग प्लेन्स और डेमचोक जैसी अन्य टकराव वाले प्वाइंट्स से सैनिकों की जल्द से जल्द वापसी को लेकर चीन पर दबाव डाला.
सरकार के एक दूसरे सूत्र ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह सुनिश्चित करने पर चर्चा हुई कि एलएसी के आसपास के क्षेत्र में नई चौकियों का निर्माण न हो.
बता दें कि 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रशिम बाली ने वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया.
ब्रिक्स समिट से पहले वार्ता
बता दें कि यह बैठक दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के शामिल होने से पहले आयोजित की गई. ब्रिक्स समिट में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी हिस्सा लेंगे. वहां दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष की मुलाकात भी होगी. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अगले महीने G20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत भी आने वाले हैं.
भारत-चीन विवाद से जुड़ा आखिरी बड़ा घटनाक्रम पिछले साल सितंबर में हुआ था. जब दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 से सैनिकों को हटाने के लिए अपने सैनिकों को वापस बुला लिया था.
गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो के उत्तर और दक्षिण तट और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र जैसे तनाव वाले क्षेत्रों से जुड़े विवाद को कई दौर की बातचीत और बफर जोन के निर्माण के बाद कुछ हद तक हल किया गया था.
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