राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि भारत इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के विनिर्माण में तेज गति से आगे बढ़ रहा है और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन विनिर्माता केंद्र बनकर उभरा है।
संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि 2018-19 में देश में विनिर्मित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का मूल्य बढ़कर 4.58 लाख करोड़ रुपये हो गया है। 2014-15 में यह आंकड़ा 1.90 लाख करोड़ रुपये था।
कोविंद ने कहा, "साल 2014 में देश में सिर्फ दो मोबाइल विनिर्माता कंपनियां थी। आज, भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल विनिर्माता केंद्र है।"
उन्होंने जोर दिया कि सरकार मोबाइल फोन, टीवी और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विनिर्माण को बढ़ावा दे रही है और इसी संबंध में राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक नीति बनाई गई है।
पिछले कुछ सालों से सरकार भारत को दुनिया के लिए विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित करने पर जोर दे रही है और 2025 तक 400 अरब डॉलर के कारोबार को हासिल करने के लिये इलेक्ट्रानिक प्रणाली डिजाइन और विनिर्माण (ईएसडीएम) की पूरी मूल्य श्रृंखला में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा है।
सरकार ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति 2019 के तहत देश में मोबाइल फोन विनिर्माण को 2025 तक बढ़ाकर 100 करोड़ करने का लक्ष्य है जिसका अनुमानित मूल्य 13 लाख करोड़ रुपये होगा।
उस समय तक देश में विनिर्मित 100 करोड़ में से 60 करोड़ मोबाइल हैंडसेट निर्यात के लिए होंगे जिनका मूल्य सात लाख करोड़ रुपये के बराबर होगा।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि तकनीक शहरों और गांवों को करीब लाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने कहा, "भारतनेट योजना के तहत अब तक 1.25 लाख करोड़ से अधिक ग्राम पंचायतों को उच्च गति ब्रॉडबैंड से जोड़ा गया है।
2014 में ग्रामीण क्षेत्रों में आम सेवा केंद्रों (सीएससी) की संख्या 60,000 थी। अब 3.65 लाख केंद्र हो गए हैँ।
राष्ट्रपति ने कहा, "इससे 12 लाख से ज्यादा ग्रामीणों को रोजगार मिला है। इन केंद्रों के जरिये सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में 45 से ज्यादा सेवाएं दे रही है।
कोविंद ने कहा कि देश में 121 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास आधार कार्ड और करीब 60 करोड़ लोगों के पास रुपे कार्ड है।
उन्होंने कहा कि दिसंबर 2019 में यूपीआई के जरिये रिकॉर्ड दो लाख करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया। इसके साथ ही सरकार ने भीम एप का नया संस्करण भी पेश किया है।
सरकार ने जन-धन, आधार और मोबाइल का उपयोग करके करीब 450 योजनाओं को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में डीबीटी के जरिये लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे 9 लाख करोड़ रुपये डाले गए हैं। सरकार ने खामियों को ठीक करके करीब 1.70 लाख करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से रोका है।
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