राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को 2008 मालेगांव ब्लास्ट मामले में कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत 7 लोगों पर आतंकी साजिश और हत्या के आरोप तय किए हैं. इस मामले की अगली सुनवाई अब दो नवम्बर 2018 को होगी. अब यूएपीए और आईपीसी की धाराओं के तहत इन पर मुकदमा चलेगा.
इससे पहले सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने कर्नल पुरोहित और अन्य लोगों के खिलाफ निचली अदालत द्वारा आरोप तय करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
मालेगांव ब्लास्ट में सातों आरोपियों के खिलाफ यूएपीए की धारा 18 और 16, आईपीसी की धारा 120 बी, 302, 307, 324,326,427,153ए और विस्फोटक कानून की धारा 3,4,5 और 6 के तहत आरोप तय किए गए हैं. इसमें धारा 302 हत्या, 120 बी साजिश रचने और 307 हत्या की कोशिश करने के लिए लगाई गई है.
जिन 7 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय हुए, उनके नाम हैं-साध्वी प्रज्ञा, रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, ले.क. पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और अजय राहिरकर. आरोप तय होने के बाद सभी आरोपियों ने इसे झूठा और बेबुनियाद बताया.
2008 में हुआ था मालेगांव धमाका
2008 में हुए मालेगांव धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और तकरीबन 100 लोग जख्मी हो गए थे. 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया गया था. ये धमाका रमजान के माह में उस वक्त किया गया था, जब मुस्लिम समुदाय के बहुत सारे लोग नमाज पढ़ने जा रहे थे. इस धमाके के पीछे कट्टरपंथी हिंदू संगठनों का हाथ होने का आरोप लगा था. इसमें साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित का नाम सामने आया था. हालांकि फिलहाल ये दोनों आरोपी जमानत पर रिहा हैं. 25 अप्रैल 2017 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को जमानत दे दी, पुरोहित को 21 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट की ओर से जमानत मिली थी. कर्नल पुरोहित पिछले 9 साल से जेल में बंद चल रहे थे.
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