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कोरोना से निपटने के लिए 21 नहीं 49 दिनों का लॉकडाउन जरूरी 

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से भारतीय मूल के शोधकर्ता एक नए गणितीय मॉडल के साथ आए हैं.

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भारत में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में 21 दिनों के लॉकडाउन का एलान किया है. वहीं अब कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से भारतीय मूल के शोधकर्ता एक नए गणितीय मॉडल के साथ आए हैं, जिसमें भारत में 49 दिनों के लिए पूरी तरह से देशव्यापी लॉकडाउन या दो महीनों में समय-समय पर छूट के साथ निरंतर लॉकडाउन की बात कही गई है. जो भारत में कोरोना को दोबारा उभरने से रोकने के लिए जरूरी है.

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21 दिनों का लॉकडाउन ज्यादा प्रभावी नहीं

रिसर्च में बताया गया कि भारत सरकार ने जो 21 दिनों का लॉकडाउन लगाया है, उसके प्रभावी होने की संभावना नहीं है और इसके अंत में कोरोना का फिर से उभार होगा.

देश में कोविड-19 महामारी पर सोशल डिस्टेंसिंग के प्रभाव के आकलन का शायद यह पहला मॉडल है, जिसमें भारतीय आबादी की उम्र और सोशल कॉन्टैक्ट स्ट्रक्चर को शामिल किया गया है. रिसर्च पेपर का टाइटल है ‘एज स्ट्रक्चर्ड इम्पैक्ट ऑफ सोशल डिस्टेंसिंग ऑन द कोविड-19 एपिडेमिक इन इंडिया’.

उम्र आधारित एसआईआर मॉडल के जरिए किया गया शोध

इस स्टडी में सोशल डिस्टेंसिंग उपायों- कार्यस्थल में गैर मौजूदगी, स्कूल बंद करने, लॉकडाउन और इसकी अवधि के साथ उनकी प्रभावाकारिता का आकलन किया गया है. रिसर्चर्स ने भारत में कोविड-19 महामारी के बढ़ने का अध्ययन करने के लिए सर्वे और बेजन इम्प्यूटेशन से प्राप्त सोशल कॉन्टैक्ट मैट्रिसेज के साथ एक आयु-संरचित एसआईआर मॉडल का प्रयोग किया.

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सोशल डिस्टेंसिंग सबसे कारगर उपाय

लेखकों ने लिखा, 'सोशल कॉन्टैक्ट की संरचनाएं गंभीर रूप से संक्रमण के प्रसार को निर्धारित करती हैं और टीकों के अभाव में, बड़े पैमाने पर सोशल डिस्टेंसिंग के उपायों के माध्यम से इन संरचनाओं का नियंत्रण वायरस के खात्मे का सबसे प्रभावी तरीका होता है.' कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावी उपाय के तौर पर भारत में 24 मार्च की मध्यरात्रि से 21 दिनों के लिए लॉकडाउन लगाया गया है.

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