सरकार द्वारा जारी किए गए डाटा के मुताबिक 2014 की तुलना में 2016 में तीन गुना ज्यादा ट्रेनें रद्द की गईं. ठंड के दौरान ट्रेनों की लेटलतीफी रेलवे के लिए हमेशा बड़ी चुनौती रहा है. 2014 में 2679 ट्रेनें रद्द की गईं थीं. वहीं 2016 में 9235 ट्रेनों को रद्द किया गया.
2015 में भी 8605 ट्रेनें रद्द हुईं. मतलब 2016 में 2014 की तुलना में तकरीबन 250% ज्यादा ट्रेनें कैंसिल हुईं.2014 में हर दिन औसतन 7 ट्रेनें रद्द की गईं. वहीं 2016 में बढ़कर 25 ट्रेनें औसतन हर दिन कैंसिल हुईं.
वहीं रूट चेंज करने वाली ट्रेनों का आंकड़ा लगभग एक जैसा ही रहा. 2014 में 4056 ट्रेनें डाइवर्ट की गईं. वहीं 2016 में 4048 ट्रेनें के रूट बदले गए.
किन कारणों से होती हैं ट्रेनें रद्द
2014 में कोहरे के चलते 38% ट्रेनें रद्द हुईं. वहीं 42% यात्राएं, रेक (चलने वाली ट्रेनों) की कमी के चलते रद्द हुईं. 2015 में 52% ट्रेनें रेक की कमी के चलते रद्द हुईं. वहीं 27% खराब मौसम के चलते. 2016 में खराब मौसम के कारण 47% ट्रेनें और 27% रेक की कमी के चलते रद्द हुईं.
2017 में जून के महीने के आखिर तक 4409 ट्रेनें रद्द की जा चुकी हैं.
2015 में इटारसी टर्मिनल पर आग लगने के कारण करीब 2450 ट्रेनें रद्द हुई थीं. इस दुर्घटना के चलते 17 जून से 15 जुलाई तक स्टेशन बंद रहा था. वहीं इटारसी-खंडवा सेक्शन पर दुर्घटना होने के कारण 543 ट्रेनें रद्द की गईं.
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