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2G स्पेक्ट्रम केस: जज की इन 7 बातों से झलका गुस्सा, दर्द और निराशा

रिकार्ड के तौर पर ऐसा कुछ नहीं है जिससे ये साबित हो कि ए राजा इस ‘साजिश’ में शामिल थे: जस्टिस सैनी

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भारत
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देश का सबसे बड़ा घोटाला बताए जाने वाले 2-जी स्पेक्ट्रम केस में कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. इस मामले में कॉरपोरेट, राजनेता समेत सभी आरोपियों को सीबीआई कोर्ट ने बरी कर दिया है. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए. राजा को क्लीन चिट देते हुए कहा कि ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं जिससे ये साबित हो कि वो साजिश में शामिल थे.

अब आपको ये बताते हैं कि स्पेशल कोर्ट के जस्टिस ओपी सैनी ने फैसले की सुनवाई के दौरान क्या-क्या कहा:

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1. जस्टिस ओ.पी. सैनी ने अपने 1,552 पन्नों के फैसले में कहा, ये दूरसंचार विभाग के 'कई कामों और बिना काम' के पैदा किए गए भ्रम के हालात हैं. इसने एक बड़े घोटाले का रूप धारण कर लिया जबकि ऐसा हुआ ही नहीं था.

2.जस्टिस सैनी ने कहा, "इस मामले का मूल ए राजा के काम पर निर्भर नहीं करता है. रिकार्ड के तौर पर ऐसा कुछ नहीं है जिससे ये साबित हो कि राजा इस 'साजिश' में शामिल था. उसके खिलाफ किसी भी गलत काम, साजिश और भ्रष्टाचार का सबूत नहीं है."

सीबीआई ने राजा को इस मामले का मुख्य आरोपी बनाया था और 200 करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप में राजा को 15 माह की जेल की सजा भी काटनी पड़ी थी.

रिकार्ड के तौर पर ऐसा कुछ नहीं है जिससे ये साबित हो कि ए राजा इस ‘साजिश’ में शामिल थे: जस्टिस सैनी

डीएमके को 2G स्पेक्ट्रम मामले में सबसे ज्यादा झटका लगा था

(फोटो: द क्विंट)

3. जस्टिस ने गुरुवार को कहा कि 7 साल तक सबूत का इंतजार करना 'बेकार' हो गया क्योंकि ये मामला 'अफवाह, चर्चा और अटकलों' पर आधारित था.

सैनी साल 2011 की शुरुआत से 2जी मामले के सभी केस का निरीक्षण कर रहे हैं.

4.अंतिम 7 सालों तक मैं गर्मी की छुट्टी समेत सभी कार्यदिवसों पर, मैं सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक, इस मामले में किसी के द्वारा कुछ कानूनी तौर पर मान्य सबूत के साथ आने का इंतजार करता रहा, लेकिन सब बेकार हो गया: जस्टिस सैनी

5. एक भी आदमी यहां नहीं आया. ये दिखाता है कि इस मामले में सभी ने अफवाह, चर्चा और अटकलों के आधार पर धारणा बना लिया था: जस्टिस सैनी

6. जस्टिस सैनी ने कहा, कई लोग कोर्ट में आए और बताया कि मामले में सही तथ्य पेश नहीं किए गए. जब इन लोगों से ये पूछा जाता था कि क्या आपके पास इस तथ्य को साबित करने का प्रमाण है, वे इसका जवाब नहीं दे पाते थे.

7. लगभग 10 से ज्यादा लोगों ने इस मामले में जांच और सीबीआई की जांच से बचे आरोपियों को समन जारी करने का लिखित आग्रह दिया, इन पत्रों में से किसी भी पत्र का कानूनी आधार नहीं था. सभी आवेदन में कोर्ट के पास पहले से मौजूद तथ्यों के बारे में या पूरी तरह से गलत तथ्यों के बारे में बताया गया था: जस्टिस सैनी

(इनपुट: एजेंसी)

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