दिल्ली से पानीपत के बीच बनने वाले आठ लेन के हाईवे के लिए तीन हजार से ज्यादा पेड़ काटे जाएंगे. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने ये जानकारी एक आरटीआई के जवाब में दी है. आरटीआई एक्टिविस्ट शुभम खत्री की आरटीआई में ये भी खुलासा हुआ है कि 8 लेन के एनएच-1 प्रोजेक्ट के लिए एन्वायरमेंटल क्लीयरेंस की जरूरत नहीं है.
इस प्रोजेक्ट में हरियाणा के मुकारबा चौक से पानीपत तक, लगभग 70.5 किलोमीटर लंबा 8 लेन का NH-1 बनना है. इस हाईवे से दिल्ली का ट्रैफिक कम होगा.
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने दिल्ली और हरियाणा दोनों के लिए वन विभाग में 55.62 करोड़ रुपये जमा कराया है. वहीं दिल्ली सेक्शन में ठेकेदार से अथॉरिटी को 17 लाख रुपये मिले हैं.
“ऐसा जरूरी नहीं है कि विभाग प्राप्त हुए धन को उसी विशेष क्षेत्र में निवेश करे. अगर इस पैसे को पौधा रोपण में लगाया जाता है, तो उन्हें अन्य क्षेत्रों में भी लगाया जा सकता है. ऐसा नहीं है कि NH-1 के लिए मिले पैसे का इस्तेमाल उसी इलाके में हो.शुभम खत्री, आरटीआई एक्टिविस्ट
उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय ने पेड़ काटने के विकल्प के तौर पर पौधे लगाने को लेकर कोई विशेष नीति नहीं बनाई है.
दिल्ली के पेड़ों को बचाने की चुनौती
बीते साल जून महीने में नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (NBCC) ने अलग-अलग विकास परियोजनाओं के लिए राष्ट्रीय राजधानी में 14,000 से ज्यादा पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी. इसे लेकर खूब विवाद हुआ था.
हालांकि, इस प्रस्ताव के बाद कॉर्पोरेशन को कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. अभी भी ये मामला अदालत में विचाराधीन है. इस मामले को लेकर दिल्ली में करीब एक हफ्ते तक विरोध प्रदर्शन हुआ था. इसी साल जनवरी में भी एनबीसीसी ने दिल्ली वन विभाग से नेताजी और सरोजनी नगर में 1955 पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी.
बता दें, दुनिया के 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में 15 भारत के हैं. इनमें गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद, भिवाड़ी और नोएडा टॉप 6 में शामिल हैं, जबकि दिल्ली 11वें नंबर पर है.
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