भले ही केंद्र सरकार हर घर बिजली की बात कर रही हो, लेकिन हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. भारत के सिर्फ 56.43 फीसदी सरकारी स्कूलों में ही अब तक बिजली पहुंच पाई है, करीब 44 फीसदी स्कूलों में आज भी बिजली की सुविधा नहीं है. ये चौंकाने वाली खबर संसदीय स्थायी समिति की ओर से पेश की गई एक रिपोर्ट में सामने आई है.
5 मार्च को राज्यसभा के सामने पेश की गई रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 12 में 50 फीसदी से ज्यादा सरकारी स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है.
बिजली की पहुंच के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन वाला राज्य मेघालय है, जहां 81.31 फीसदी सरकारी स्कूलों में बिजली नहीं है, इसके बाद मध्य प्रदेश के 80.39 फीसदी स्कूलों में बिजली नहीं है. देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के करीब 69 फीसदी सरकारी स्कूलों में बिजली की पहुंच नहीं है.
1383 लैब्स को मंजूरी, सिर्फ 3 बनी
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020-21 के लिए स्कूली शिक्षा का बजट 22,725.04 करोड़ कम आवंटित किया गया है.
“समिति ने बताया है कि 82,570.04 करोड़ रुपये के प्रस्तावित BE 2020-21 की तुलना में शिक्षा विभाग को सिर्फ 59,845.00 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. विभाग की ओर से किए गए प्रस्तावों में 27.52 फीसदी की कटौती की गई है.”रिपोर्ट
ये रिपोर्ट सरकारी स्कूलों में सिर्फ बिजली कनेक्शन की जानकारी नहीं देती है, इस रिपोर्ट में सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे के काम की गति की भी जानकारी है. जैसे- नए क्लासरूम का निर्माण, छात्र-छात्राओं के लिए शौचालय का निर्माण.
स्कूलो में कितने शौचालय?
समागम शिक्षा योजना के तहत प्राथमिक स्कूलों में मंजूर किए गए 1869 CWSN शौचालयों में से सिर्फ 85 यानी कि 4.55 फीसदी टॉयलेट का निर्माण किया गया है. इसी तरह, छात्राओं के लिए बनाए जाने वाले 36,321 शौचालयों में से सिर्फ 24,540 का निर्माण किया गया है.
समागम शिक्षा योजना के तहत 56 स्कूलों को एचएस स्कूलों में अपग्रेड किया जाना था, 1021 अतिरिक्त कक्षाओं का निर्माण किया जाना था, 40 साइंस लैब्स बनाई जानी थी, 135 लाइब्रेरी की मंजूरी दी गई, लेकिन इनमें से किसी का निर्माण नहीं किया गया.
इसके अलावा, 451 फिजिक्स लैब्स, 434 कैमिस्ट्री लैब्स और 458 बायोलॉजी लैब को मंजूरी दी गई थी, लेकिन इनमें से सिर्फ एक-एक लैब का निर्माण किया गया है.
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