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‘अंधकार भरा दौर है’ प्रधानमंत्री जी,49 पूर्व ब्यूरोक्रेट की चिट्ठी

“आजादी के बाद से यह अब तक का सबसे अंधकारमय दौर (डार्केस्ट आवर) है.”

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भारत
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प्रिय प्रधानमंत्री जी मौजूदा हालात के लिए कोई और नहीं आपको ही जिम्मेदार माना जाएगा. ये चिट्टी देश के 49 रिटायर्ड नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी है. इसके मुताबिक मौजूदा दौर आजादी के बाद सबसे अंधकार भरा वक्त है क्योंकि ऐसे समय में इन सब बातों से निपटने में हमारी सरकार और राजनीतिक दलों के नेता विफल और कमजोर साबित हुए हैं.

चिट्ठी कठुआ और उन्नाओ गैंग रेप मामले और इससे जुड़े हालात पर लिखी गई है. चिट्ठी में कहा गया है कि ये दो घटनाएं सामान्य अपराध नहीं हैं, जो वक्त के साथ ठीक हो जाएंगी. इन घटनाओं ने हमारे सामाजिक ताने-बाने पर गहरी चोट की है. हमें जल्द ही अपने समाज के राजनीतिक और नैतिक ताने-बाने को ठीक करना होगा. यह समय हमारे अस्तित्व के संकट का समय है.

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ब्यूरोक्रेट की चिट्ठी के मुताबिक अंधकार इतना घना है कि हमें अंधेरी सुरंग का दूसरा सिरा नजर नहीं आ रहा है और हमारा सिर शर्म से झुका जा रहा है.

पीएम मोदी को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए इन ब्यूरोक्रेट ने लिखा है

हमें उम्मीद थी कि संविधान की रक्षा की शपथ लेने वाली सरकार के मुखिया के नाते आप और बीजेपी इन गिरते हालातों को संभालने के लिए आगे आएंगे, खासतौर पर अल्पसंख्यकों और कमजोर तबकों को भरोसा दिलाया जाएगा कि उनके जीवन और आजादी की रक्षा होगी, लेकिन ये उम्मीद भी टूट गई.

कठुआ और उन्नाव के बर्बर घटनाएं बताती हैं कि लोगों ने सरकार को बुनियादी जिम्मेदारी सौंपी थी उसे निभाने में विफल रही है. हम एक देश के तौर पर फेल हुए हैं जो हमेशा नौतिक, आध्यात्मिक और सहिष्णुता और सबसे प्रेम की विशाल संस्कृति को अहमियत देता है. इसी संस्कृति पर हमें गर्व रहा है. लेकिन हिंदू के नाम पर किसी दूसरे इंसाल के साथ इस क्रूरता से पेश आना, इंसानियत के टेस्ट में हमें विफल बनाता है.

इस चिट्ठी में सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा गया है.

भले ही आपने इस घटना की निंदा की है और इसे शर्मनाक बताया है, लेकिन आपने ना तो इसके पीछे काम कर रही सांप्रदायिक भावना की निंदा की और ना ही इसे दूर करने के लिए किसी तरह का सामाजिक, राजनीतिक या प्रशासनिक संकल्प दिखाया, जिसके तहत इस तरह की सांप्रदायिक पैदा होती है.

अपने साथियों पर भी जताई नाराजगी

यही नहीं इस चिट्ठी के जरिए सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि जो ब्यूरोक्रेट अभी सेवा से जुड़े हैं उनपर भी नाराजगी जतायाा गया है.

चिट्ठी में लिखा है कि हमारे युवा साथी जो अभी सर्विस में हैं, जिन्हें कानून के दायरे में रह कर कमजोर और बेसहारा लोगों की हिफाजत करनी चहिये थी वो भी लगता है कि अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने में विफल साबित हुए हैं.
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प्रधानमंत्री के लिए सुझाव

इस चिट्ठी में पांच पॉइंट का सुझाव भी दिया गया है ताकि अभी जो हाल देश में है वो आगे ना हो. लेटर में कहा गया है कि

  • उन्नाव और कठुआ गैंगरेप पीड़िता के परिवार से हम सबकी तरफ से माफी मांगे.
  • बिना किसी देरी के फास्ट ट्रैक कोर्ट में कठुआ रेप मामले की सुनवाई हो. साथ ही उन्नाव मामले की जांच के लिए कोर्ट की देखरेख में एसआईटी बनाई जाए.
  • हेट क्राइम के शिकार दलितों, मुस्लिमों और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं और बच्चों के लिए खास सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. ताकि उन्हें उनकी इज्जत और जिंदगी के लिए डरना ना पड़े. साथ ही उनपर आने वाले किसी तरह के भी खतरे को राज्य पूरी ताकत से बचाए.
  • उन सरकारी कर्मचारियों को हटाया जाए जो हेट स्पीच और हेट क्राइम में शामिल हैं.
  • साथ ही नफरत फैलाने वालों पर काबू पाने के लिए इस मामले को लेकर ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई जाए.

कठुआ में 8 साल की बच्ची से गैंगरेप और हत्या की गई थी. यही नहीं जम्मू कश्मीर सरकार में बीजेपी के दो मंत्री ने आरोपी के समर्थन में कठुआ के कुछ लोगों के साथ रैली भी निकाली थी. हालांकि बाद में इन दोनों मंत्रियों लाल सिंह आर्य और चंद्र भूषण ने मेहबूबा मुफ्ती सरकार से इस्तीफा भी दे दिया था.

उन्नाव में एक नाबालिग लड़की से गैंगरेप का आरोप बीजेपी का विधायक कुलदीप सिंह सेंगर है. लेकिन रिपोर्ट लिखे जाने के 9 महीने बाद भी पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया. यहां तक कि विधायक के गुर्गों ने पीड़िता के पिता की पिटाई की और बाद में पुलिस कस्टडी में उनकी मौत हो गई. मीडिया और लोगों के विरोध के भारी विरोध के बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया, तब जाकर आरोपी विधायक गिरफ्तार हुआ.

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