मोदी सरकार की तरफ से शुरू किए गए जन धन अकाउंट में से 6 करोड़ से ज्यादा खातों में लेन-देन नहीं हो रहा है. फरवरी 2017 तक 31.20 करोड़ जनधन अकाउंट खोले गए हैं. लेकिन इनमें से केवल 25.18 करोड़ खातों में ही लेन-देन किया जा रहा है. राज्यसभा में सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई गई जानकारी में ये बात सामने आई है.
75 हजार करोड़ रुपये हुए जमा
अगस्त 2014 में शुरू हुई इस योजना के बाद से खोले गए अकाउंट में फरवरी 2018 तक कुल जमा राशि 75 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा थी. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि काफी बढ़-चढ़ कर अकाउंट खुलवाने लोग अब इससे पीछे हट रहे हैं.
अब तक खोले गए कुल अकाउंट में से करीब 20 फीसदी अकाउंट में कोई लेन-देन नहीं हो रहा. वहीं इस योजना की शुरुआत के बाद से फरवरी तक करीब 59 लाख जन धन अकाउंट बंद कर दिए गए हैं.
जरूरतमंदों को हुआ फायदा?
जन धन अकाउंट खुलने और आधार से योजनाओं को लिंक करने के बाद गरीब लोगों को फायदा भी हुआ है. एसोचैम की एक स्टडी में कहा गया कि "जन धन और आधार का असली फायदा सरकार की प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजनाओं के लाभार्थियों की संख्या में दिखती है.
एसोचैम की आर्बिटरी रिपोर्ट कार्ड के मुताबिक, बॉयोमेट्रिक कार्ड के जरिए डीबीटी योजना के तहत 83,184 करोड़ रुपये लाभार्थियों तक पहुंचाए गए. जबकि पहले ऐसी योजनाओं का बहुत सारा धन बीच में ही गबन कर लिया जाता था.
क्या है जन-धन खाता?
28 अगस्त 2014 को पीएम मोदी ने 'प्रधानमंत्री जन धन योजना' की शुरुआत की थी. देश के गरीब लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई थी. जिनके पास भी बैंक अकाउंट नहीं था, उनका बैंक अकाउंट इस योजना के तहत खोलने की शुरुआत हुई. इस अकाउंट में लाइफ इंश्योरेंस, लोन, जीरो बैलेंस, रुपे कार्ड (ATM कार्ड) जैसी कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं.
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