एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है हजारों किसान दिल्ली की सरहदों पर अपनी मांगों को लेकर डटे हुए. इसी दौरान कई किसानों की जान भी जा चुकी है. किसान संगठन का दावा है कि पिछले एक महीने में इस आंदोलन में शामिल करीब 60 किसानों की मौत हुई है.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है,
”(किसान) आंदोलन में अब तक 60 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं. हर 16 घंटे में एक किसान मर रहा है. सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह जवाब दे.”
राकेश टिकैत ने ये बयान किसान संगठन और सरकार के बीच बातचीत से ठीक पहले दिया है. राकेश टिकैत ने इससे पहले कहा था कि कानून वापस हों, MSP पर कानून बने, स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू हो। हमें बिन्दुवार वार्ता(कानूनों पर) करने में कोई दिलचस्पी नहीं है.
बता दें कि तीन कृषि कानून को रद्द कराने की मांग को लेकर हजारों किसान 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की अलग-अलग बॉर्डरों पर विरोध कर रहे हैं.
किसान आंदोलन के बीच दिल्ली बॉर्डर पर सिख संत बाबा ने किया था सुसाइड
किसानों के प्रदर्शन के बीच हरियाणा के एक गुरुद्वारे के प्रमुख बाबा राम सिंह ने 16 दिसंबर को सुसाइड कर लिया था. उन्होंने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी. सुसाइड से पहले उन्होंने एक नोट लिखा था, “मैं किसानों का दर्द महसूस कर सकता हूं जो अपने अधिकारों को लिए लड़ रहे हैं. मैं उनका दर्द बांट रहा हूं क्योंकि सरकार उनके साथ न्याय नहीं कर रही है.”
अगर नहीं बनी बात तो 26 जनवरी को "किसान गणतंत्र परेड"
आज सरकार और किसानों के बीच 7वें राउंड की बैठक हो रही है. इससे पहले किसानों ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार से कहा कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो दिल्ली के चारों ओर लगे मोर्चों से किसान 26 जनवरी को दिल्ली में आकर ट्रैक्टर ट्रॉली और बाकी वाहनों के साथ "किसान गणतंत्र परेड" करेंगे.
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