हरियाणा के करनाल जिले के हरसिंघपुरा गांव में 50 फुट गहरे बोरवेल में गिरी पांच साल की बच्ची की मौत हो गई है. घरौंदा थाने के पुलिस अधिकारी सचिन ने फोन पर बताया कि वह रविवार को खेत में खेलते समय बोरवेल में गिर गई थी. बच्ची को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा था.
थाना प्रभारी ने कहा,
‘‘बचाव कर्मियों द्वारा बाहर निकाले जाने के बाद उसे करनाल के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत लाया घोषित कर दिया. ’’
उन्होंने बताया कि जैसे ही उसके परिवार को बच्ची के लापता होने का पता चला उन्होंने उसे ढूंढ़ना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्हें बोरवेल में उसके गिरने का शक हुआ. उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन और पुलिस को घटना की जानकारी दी गई और बचाव अभियान शुरू किया गया. बाद में एनडीआरएफ को भी घटना की जानकारी दी गई.
पुलिस ने बताया कि बोरवेल के अंदर ऑक्सीजन पहुंचा दिया गया था. बच्ची का पता लगाने के लिए बचावकर्मियों ने कैमरे का इस्तेमाल किया था, जिससे उन्हें उसका पैर दिखा गया था. बच्ची को यह एहसास कराने के लिए कि वह अकेली नहीं है, उसके माता-पिता की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी बोरवेल में चलाई गई थी.
उन्होंने बताया कि बोरवेल में बच्चे की कोई हरकत नहीं दिखी. वह सिर के बल बोरवेल में गिरी थी.
सुजीत की भी हुई थी बोरवेल में गिरने से मौत
अभी कुछ दिन पहले ही तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले नादुकट्टुपट्टी में अपने घर के पास खेलते समय सुजीत विल्सन की 88 फुट गहरे बोरवेल में गिर गया था. 80 घंटे की मश्क्कत के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका था.
बढ़ती जा रहीं हैं घटनाएं
पंजाब के संगरूर जिले में जुलाई में 150 फुट गहरे बोरवेल में गिरे दो साल के फतहवीर सिंह की जान चली गई थी. इससे पहले उसे बचाने के लिए करीब चार दिन तक मशक्कत की गई थी. हरियाणा के हिसार में मार्च में बोरवेल में गिरे 18 महीने के बच्चे को बचा लिया गया था, वह करीब दो दिन तक बोरवेल में फंसा रहा था. बच्चों के बोरवले में गिरने की सबसे पहली और चर्चित घटना 2006 में हुई थी, जब कुरुक्षेत्र गांव में बोरवेल में गिरे पांच साल के प्रिंस को करीब 48 घंटे चले बचाव अभियान के बाद बचा लिया गया था.
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