केंद्रीय आयुष मंत्रालय की देशभर में हुई एक ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस से विवाद पैदा हो गया है. इस कॉन्फ्रेंस में मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि वो अंग्रेजी में नहीं बोलेंगे और जिन लोगों को हिंदी समझ नहीं आती, उन्हें कॉन्फ्रेंस कॉल से चले जाने के लिए कहा. इस विवाद पर DMK नेता कनिमोझी ने केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाइक को लेटर लिख जांच की मांग की है.
द न्यूज मिनट (TNM) की खबर के मुताबिक, तमिलनाडु के जिन नेचुरोपैथी डॉक्टरों ने इस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था, उन्होंने बताया कि सचिव का ये 'अपमानजनक रवैया' तीन दिन तक चले भेदभाव भरे और खराब तरह से कराए गए इवेंट का हिस्सा था.
तमिलनाडु से 37 सरकारी डॉक्टरों ने इस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया था. इस इवेंट में कुल 300 लोग शामिल हुए थे.
18 से 20 अगस्त के बीच हुए इस इवेंट का आयोजन आयुष मंत्रालय और 'मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा फॉर मास्टर ट्रेनर्स ऑफ योगा' ने किया था. कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए डॉक्टरों के मुताबिक, हर दिन छह सेशन हुए जिसमें नेचुरोपैथी और योगा के कई पहलुओं पर बात हुई.
लेकिन पहले से ही कम से कम चार सेशन हिंदी में हुए थे. कुछ स्पीकर ने बाइलिंगुअल होने की कोशिश की और अंग्रेजी में कुछ ट्रांसलेट किया लेकिन अंत हमेशा हिंदी में ही होता था. हमारे लिए समझना बहुत मुश्किल था. हम लगातार ये मुद्दा उठाते रहे. रकॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने वाले एक डॉक्ट
'मैं हिंदी में बोलूंगा, लोग जा सकते हैं'
आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा के सेशन में मामला और बढ़ गया. सचिव ने हिंदी में शुरुआत की और कहा, "मैं उन लोगों को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने पिछले दो दिनों से समय निकालकर इस सेशन को अटेंड किया. मुझे जानकारी मिली है कि पिछले दो दिनों में कुछ दिक्कत आई है... लोग जा सकते हैं... मैं अंग्रेजी अच्छी नहीं बोलता हूं. तो मैं हिंदी में बोलूंगा."
सचिव के सेशन का वीडियो भी सोशल मीडिया पर फैल गया. सचिव ने ये बात तब कही, जब तमिलनाडु के कई डॉक्टरों ने चैट पर मेसेज भेजकर कहा कि वो अंग्रेजी में बोलें.
सचिव को मेसेज भेजने वाले एक डॉक्टर ने TNM से कहा, “ये एक नेशनल कॉन्फ्रेंस थी और ये सामान्य था कि हम इसके ऐसी भाषा में होने कि उम्मीद करें जो सब समझते हों. लेकिन हमारे कहने के बावजूद वो हिंदी में जारी रहे और हमें चले जाने को भी कहा. क्या ये बहुत अपमानजनक नहीं है?”
कनिमोझी ने की जांच की मांग
DMK सांसद कनिमोझी ने आयुष मंत्री श्रीपद नाइक को लेटर लिखकर कहा कि वो 'हिंदी थोपे जाने के एक मामले की तरफ आपका ध्यान दिलाना चाहती हैं.' कनिमोझी ने लिखा, "ऐसी रिपोर्ट्स है कि केंद्रीय सचिव ने हिंदी न समझने वालों को सेमिनार से जाने को कहा है. ये संवैधानिक सिद्धांतों के उल्लंघन का मामला है,"
कनिमोझी ने अपने लेटर में लिखा कि अंग्रेजी और हिंदी दोनों ही केंद्र की आधिकारिक भाषा हैं. उन्होंने नाइक से इस मामले की जांच और 'भाषा के आधार पर भेदभाव करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई' की मांग की है.
कुछ दिनों पहले कनिमोझी ने ट्वीट कर बताया था कि चेन्नई एयरपोर्ट पर CISF के एक अधिकारी ने हिंदी ने बोलने की वजह से उनसे पूछा था कि 'क्या वो भारतीय हैं.' कनिमोझी ने तब भी 'हिंदी थोपे' जाने का आरोप लगाया था.
(TNM के इनपुट्स के साथ)
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