अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने कहा है कि JNU हिंसा का मामला सिर्फ 5 जनवरी तक ही सीमित नहीं है. ABVP की महासचिव निधि त्रिपाठी ने 13 जनवरी को कहा, '' यह देखना होगा कि (JNU) हिंसा केवल 5 जनवरी तक ही सीमित नहीं है, यह भी देखना होगा कि 28 अक्टूबर 2019 से 5 जनवरी 2020 तक क्या हुआ?''
इसके आगे उन्होंने कहा,
‘’फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन को छात्र विरोध कहना गलत होगा. यह JNU पर एक नक्सली हमला था. इसकी स्क्रिप्ट 28 अक्टूबर 2019 को लिखी गई थी और इसका समापन हिंसा के माध्यम से 5 जनवरी 2020 को हुआ, जहां खून बहाया गया था.’’निधि त्रिपाठी, महासचिव, ABVP
बता दें कि 5 जनवरी को JNU में भारी हिंसा और तोड़फोड़ हुई थी. इस दौरान 30 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 10 जनवरी को 9 संदिग्धों की फोटो जारी की थीं और साथ ही दावा किया था कि JNU छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष उनमें से एक है. ABVP के विकास पटेल और योगेंद्र भारद्वाज 9 संदिग्धों में शामिल हैं.
इस मामले पर ABVP ने 10 जनवरी को ही दावा किया था कि उसके कार्यकर्ता, जिनके नाम JNU हिंसा मामले में पुलिस ने बतौर संदिग्ध लिए हैं, वे 5 जनवरी को कैंपस में हुए हमले में शामिल नहीं थे.
दिल्ली पुलिस ने और भी छात्रों को भेजे नोटिस
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की एक टीम 13 जनवरी को JNU पहुंची और उसने कैंपस में हुई हिंसा के मामले में आइशी घोष सहित 3 स्टूडेंट्स से पूछताछ की. ये तीनों उन 9 संदिग्धों में शामिल हैं, जिनकी फोटो पुलिस ने 10 जनवरी को जारी की थीं.
पुलिस के मुताबिक, एक न्यूज चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में दिखे अक्षत अवस्थी और रोहित शाह को भी जांच में शामिल होने के लिए नोटिस भेजे गए हैं.
इसके अलावा पुलिस ने सोशल मीडिया पर JNU हिंसा मामले के एक वीडियो में दिखी नकाबपोश महिला की पहचान कोमल शर्मा के तौर पर की है. शर्मा को भी जांच में शामिल होने का नोटिस भेजा गया है.
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