दिल्ली पर एक बार फिर काली धुंध का साया मंडरा रहा है. पराली के बाद अब लोगों को दिवाली का डर सता रहा है. पिछले तीन सालों से साल के आखिर में दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील हो जाती है. इस समस्या को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट में डरावनी तस्वीर सामने आई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016 में जहरीली हवा ने देश में एक लाख से ज्यादा मासूम बच्चों की जान ले ली. निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पांच साल से कम उम्र के 98 फीसदी बच्चे प्रदूषण से प्रभावित हुए.
WHO की रिपोर्ट की मानें तो दुनियाभर में प्रदूषित हवा के चलते साल 2016 में 15 साल से कम उम्र के करीब छह लाख बच्चों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
- WHO की रिपोर्ट की मानें तो साल 2016 में जहरीली हवा से 1,10,000 बच्चों की मौत हुई
- इनमें पांच साल से कम उम्र के 60,987 बच्चे शामिल हैं
- साल 2016 में भारत में करीब 20 लाख लोगों की मौत प्रदूषण की वजह से हुई
वायु प्रदूषण से हुई पांच साल से कम उम्र के 60,987 बच्चों की मौत
WHO ने सोमवार को प्रदूषण के प्रभावों से संबंधित एक रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत समेत निम्न और मध्यम आय-वर्ग के देशों में पांच साल से कम उम्र के 98 फीसद बच्चे साल 2016 में अतिसूक्ष्म कणों से पैदा वायु प्रदूषण के शिकार हुए.
WHO ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पांच साल से कम उम्र के 60,987 बच्चे पीएम 2.5 यानी हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों की वजह से मारे गए. वायु प्रदूषण से बच्चों की मौत के मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है. वहीं दूसरे नंबर पर नाईजीरिया है, जहां 47,674 बच्चों की मौत हो गई. वहीं पाकिस्तान में 21,136 बच्चे प्रदूषण का शिकार हुए.
मरने वाले बच्चों में लड़कियों की संख्या लड़कों से ज्यादा है. साल 2016 में 32,889 लड़कियों की मौत हो गई. सभी उम्र के बच्चों को मिलाकर देखें तो साल 2016 में वायु प्रदूषण से एक लाख बच्चों की मौत हुई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में करीब 20 लाख लोगों की मौत प्रदूषण की वजह से हुई, जो पूरी दुनिया का 25 प्रतिशत है.
दिल्ली में छाई धुंध की मोटी चादर, ‘बहुत खराब' श्रेणी में बनी हुई है हवा की गुणवत्ता
राजधानी दिल्ली में धुंध की मोटी चादर छाई रहने से हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब' श्रेणी में है. दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 348 दर्ज किया गया जो ‘बहुत खराब' श्रेणी दर्शाता है.
दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर बनाए गए 29 निगरानी केंद्रों ने हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब' श्रेणी में दर्शाई जबकि चार केंद्रों ने हवा की गुणवत्ता ‘‘अत्यंत गंभीर'' श्रेणी की बताई.
AQI का स्तर 0 से 50 के बीच ‘अच्छा’ माना जाता है. 51 से 100 के बीच यह ‘संतोषजनक’ स्तर पर होता है और 101 से 200 के बीच इसे ‘मध्यम’ श्रेणी में रखा जाता है. हवा की गुणवत्ता का सूचकांक 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘अत्यंत गंभीर’ स्तर पर माना जाता है.
अधिकारियों की दलील है कि निर्माण कार्य, वाहनों से होने वाले प्रदूषण, पंजाब और हरियाणा में खेतों में पराली जलाए जाने जैसे कारकों की वजह से दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है.
राष्ट्रीय राजधानी में धुंध की मोटी चादर छाई हुई है. अधिकारियों का कहना है कि अगले महीने त्योहारों के दौरान हालात और बिगड़ सकते हैं. केंद्र द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान और शोध प्रणाली (सफर) के मुताबिक, प्रदूषण ‘बहुत खराब' श्रेणी के ऊपरी स्तर तक बढ़ सकता है, लेकिन अगले दो दिनों तक यह ‘‘अत्यंत गंभीर'' श्रेणी में नहीं जाएगा.
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