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वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी का विरोध, 5 सितंबर को धरना-प्रदर्शन

अरुंधित रॉय ने कहा- विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी कर रही है सरकार

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भीमा-कोरेगांव मामले में पांच वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी की सामाजिक कार्यकर्ताओं और दिग्गज लेखकों ने निंदा की है. मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता बेजवाड़ा विल्सन, अरुणा रॉय और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने गुरुवार को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गिरफ्तारी पर नाराजगी जताई.

बता दें कि पुलिस ने मंगलवार को भीम-कोरेगांव हिंसा और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत पांच वामपंथी विचारकों को गिरफ्तार किया था.

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Activists and authors address a press conference at Delhi Press Club condemning the arrest of 5 activists in connection with Bhima Koregaon violence.

Posted by The Quint on Thursday, August 30, 2018

नाकामी से ध्यान हटाने के लिए गिरफ्तारी कर रही सरकार: अरुंधित रॉय

लेखिका अरुंधति रॉय ने एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी पर कड़ी नाराजगी जताई. गिरफ्तारी का विरोध करते हुए रॉय ने कहा कि मोदी सरकार ने विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसों को देश से भाग जाने देकर जनता की जेब काटी है.

रॉय ने कहा कि सरकार अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए एक्टविस्टों की गिरफ्तारी कर रही है.

5 सितंबर को देशभर में विरोध प्रदर्शन करेंगे दलितः मेवाणी

भीमा कोरेगांव मामले में हुई गिरफ्तारियों का विरोध करते हुए दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने इसे मोदी सरकार द्वारा देश में उभरते दलित आंदोलन को बदनाम करने की साजिश करार दिया.

गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने एक्टविस्टों की गिरफ्तारी के विरोध में 5 सितम्बर को देशभर में दलित-आदिवासियों का विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है.

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एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी असंवैधानिकः अरुणा रॉय

वरिष्ठ समाजसेवी अरुणा रॉय ने एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी को असंवैधानिक बताया. अरुणा रॉय ने कहा, 'अभिव्यक्ति की आजादी को खतरा है. ये उन लोगों के लिए संकेत है जो असहमति जताते हैं.'

अरुणा रॉय ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सरकार समाज में सवाल पूछने वालों में डर पैदा करना चाहती है.

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आज के हालात इमरजेंसी से भी बदतरः प्रशांत भूषण

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि आज जो हालात है वह इमरजेंसी से भी बदतर है, क्योंकि लोकतंत्र को चरणबद्ध तरीके से धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आपातकाल एक झटका था जो आया और चला गया, लेकिन यह ‘अघोषित आपातकाल’ उससे भी खतरनाक है.

प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर हमलोग अब भी नहीं खड़े हुए, तो सब कुछ खो देंगे.

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क्या है एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी का पूरा मामला?

बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा की साजिश रचने और नक्सलवादियों से संबंध रखने के आरोप में पुणे पुलिस ने बीती 28 अगस्त को देश के अलग-अलग हिस्सों से वामपंथी विचारक गौतम नवलखा, वारवारा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनोन गोंजालवेस को गिरफ्तार किया था.

इसके बाद 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इन गिरफ्तारियों पर रोक लगा दी और अगली सुनवाई तक हिरासत में लिये गए सभी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को अपने ही घर में नजरबंद रखने के लिए कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है, अगर इसे हटा दिया गया तो लोकतंत्र का प्रेशर कुकर फट जाएगा.

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