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अफगानिस्तान में महिलाएं हो जाएंगी 'गायब'? इस फोटो को शेयर कर पूछ रहे लोग

तालिबान के कठोर कानून देख चुके लोगों को डर है कि सत्ता पर काबिज होने के बाद वो वापस अपने पुराने रवैये पर न लौट आए.

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20 साल बाद, अफगानिस्तान में तालिबान एक बार फिर सत्ता में लौट आया है. मौजूदा तालिबान महिला अधिकारों की बात कर रहा है. तालिबान कह रहा है कि वो नहीं चाहता कि इस्लामी अमीरात में महिलाएं पीड़ित बन कर रहें, और वो उनसे सरकार में शामिल होने के लिए भी कह रहा है.

लेकिन 20 साल पहले तालिबान के कट्टरपंथी कानून देख चुके लोगों को डर है कि सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान वापस अपने पुराने रवैये पर न लौट आए. और सबसे ज्यादा डर महिला अधिकारों को लेकर है. 20 साल पहले तालिबान के राज में महिलाओं के सभी अधिकार छीन लिए गए थे. महिलाओं को अब फिर डर है कि तालिबान के वापस आने पर उनके घर से निकलने पर पाबंदी लगा दी जाएगी और उन्हें शिक्षा और नौकरी से दूर रखा जाएगा.
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इन आशंकाओं के बीच, ट्विटर पर येमेन की एक आर्टिस्ट का काम अफगान महिलाओं से जोड़कर खूब शेयर किया जा रहा है. येमेन की फोटोग्राफर Boushra Almutawakel की फोटो सीरीज 'मदर, डॉटर और डॉल' को ट्विटर पर यूजर्स अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति के संदर्भ में शेयर कर रहे हैं.

इस फोटो सीरीज में एक महिला, एक बच्ची और एक गुड़िया नजर आते हैं. पहली तस्वीर में महिला ने हिजाब पहना है, और बच्ची ने रंगीन कपड़े. एक-एक कर तस्वीर में कपड़े बदलते जाते हैं, और हिजाब के साथ-साथ बुर्का और नकाब भी आ जाता है. आखिरी तस्वीर में महिला, बच्ची और गुड़िया, तीनों ने बुर्का और नकाब पहना है. और आखिरी में... तीनों गायब हो जाती हैं.

तालिबान के कठोर कानून देख चुके लोगों को डर है कि सत्ता पर काबिज होने के बाद वो वापस अपने पुराने रवैये पर न लौट आए.

Boushra Almutawakel की Mother, Daughter, And Doll सीरीज

(फोटो सीरीज: Boushra Almutawakel)

येमेन की महिला की फोटो सीरीज

इस पॉवरफुल फोटो सीरीज में और कोई नहीं, बल्कि खुद फोटोग्राफर Boushra Almutawakel और उनकी बेटी शामिल हुई हैं. आखिरी तस्वीर का मतलब है कि कैसे कुछ इलाकों में महिलाओं पर पाबंदियां इतनी बढ़ जाती हैं कि उन्हें घर से ही नहीं निकलने दिया जाता.

द गार्डियन ने साल 2013 में इस फोटो सीरीज को पब्लिश किया था. इसके जरिये, Boushra, महिला अधिकारों और कपड़े पहनने की आजादी पर दुनिया का ध्यान खींचना चाहती थीं. Boushra ने द गार्डियन से कहा था, "मैं चेहरा ढंकने के खिलाफ नहीं हूं, मैं येमेन में हिजाब पहनने में सहज महसूस करती हूं, लेकिन मुझे ज्यादा ढंकने और इसके महिलाओं के स्वामित्व के विचार पर आपत्ति है. इसका वास्तव में इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है. महिलाओं को ढंकने के बजाय, पुरुषों पर काम करना इसका समाधान है."

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अफनागिस्तान में अदृश्य हो जाएंगी महिलाएं?

Boushra Almutawakel की फोटो सीरीज को शेयर करते हुए कई यूजर्स ने लिखा कि ये कहीं न कहीं अफगानिस्तान की महिलाओं की पीड़ा भी दिखा रही है.

इसके अलावा, अफगानिस्तान की जानी-मानी आर्टिस्ट शमसिया हसानी का आर्टवर्क भी काफी शेयर किया जा रहा है. हसानी ने तालिबान के राज में महिलाओं की तकलीफों को लेकर कई आर्ट पोस्ट की हैं.

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