आर्मी के बाद अब नेवी में भी महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह फैसला दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इंडियन नेवी में परमानेंट कमीशन देते समय महिला और पुरुषों को एक समान माना जाना जाए. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली इस बेंच ने नेवी में काम कर रही महिला अफसरों को तीन महीने के अंदर परमानेंट कमीशन देने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,परमानेंट कमीशन न देना घोर अन्याय
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेवी में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत सेवा दी रही महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने से इनकार करना उनके साथ घोर अन्याय है.सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले महिलाओं को इंडियन आर्मी में परमानेंट कमीशन देने के पक्ष में फैसला दिया था.
परमानेंट कमीशन मिलने से शॉर्ट सर्विस कमीशन के उलट महिलाएं रिटायरमेंट तक इंडियन नेवी की सेवा कर सकेंगी.शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत महिला हो या पुरुष उन्हें दस साल तक नौकरी की इजाजत मिलती है.ज्यादा से ज्यादा इसे बढ़ा कर 14 साल किया जा सकता है.
‘महिला हों या पुरुष सेना में बराबरी की हकदार’
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल फरवरी में कहा था कि आर्मी में काम करने वाली सभी महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन मिलेगा, चाहे उन्होंने कितने ही साल नौकरी क्यों न कर ली हो. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आर्मी के नॉन-कॉम्बेट सपोर्ट यूनिटों में महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन दिया जाए. उन्हें पुरुष अफसरों को बराबर ही रखा जाए.
अगर महिला अफसर शॉर्ट सर्विस कमीशन को पूरा करने के बाद परमानेंट कमीशन चाहें तो उन्हें इसका पूरा मौका मिलना चाहिए. 1950 में बने आर्मी एक्ट के तहत महिलाओं को परमानेंट कमीशन के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया था. इसके 42 साल बाद यानी 1992 में सरकार ने पांच ब्रांच में महिला अधिकारी बनाने की अधिसूचना जारी की. 17 फरवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि आर्मी में महिलाओं को स्थायी कमीशन दिया जाए
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